कानपुर (ब्यूरो)। मतांतरण का मायाजाल शहर के तमाम इलाकों की बस्ती तक फैला हुआ है। दलित बस्तियां किसी भी इलाके की हों, वहां किसी को नौकरी तो किसी को रुपये का लालच देकर मतांतरण किया जा रहा है। शनिवार रात पकड़े गए लोगों से पूछताछ में पता चला है कि ज्यादातर लोगों को &चंगाई&य का लालच देकर मतांतरण के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि अगर वह ईसाई धर्म अपनाते हैं तो वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। उनके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। इतना ही नहीं, मतांतरण के जिम्मेदारों ने समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने भरोसा भी दिया था। वहीं, कुछ दिन पहले ही नवाबगंज की वाल्मीकि बस्ती में &चंगाई&य के नाम पर प्रार्थना सभा की जा रही थी। यहां पुलिस ने छापेमारी की तो लखनऊ से प्रेयर और मतांतरण कराने आई टीम अपने वाहन छोडक़र भाग खड़ी हुई। सैटरडे रात एक बार फिर जब मामला सामने आया तो खुफिया विभाग और पुलिस एक्टिव हो गई। अब इस मामले में इंटेलीजेंस भी लगाई गई है। स्थानीय खुफिया इकाई को भी अलर्ट किया गया है।
आउटर इलाकों में होती प्रेयर
दरअसल, शनिवार रात दो बसों में 110 लोगों को लेकर मतांतरण के लिए उन्नाव ले जाया जा रहा था। इन बसों को किसने बुक कराया था, संगम ट्रेवल्स को पत्र भेजकर यह जानकारी मांगी गई है। प्रारंभिक पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि वो काकादेव के छपेड़ा पुलिया से लोगों के बिठाकर उन्नाव ले जा रहे थे। छपेड़ा पर इन लोगों को किसने इकट्ठा किया, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। पुलिस को बताया गया कि शहर में चोरी छिपे कई जगह प्रेयर कराई जाती है। आउटर इलाकों में चर्च बनाकर लोगों को उसमें शामिल किया जाता है।
फंड की होगी जांच
पुलिस पूछताछ में जानकारी मिली है कि इस धर्म से संबंधित जो भी व्यक्ति ऊंचे पदों पर हैैं या जो बड़ा कारोबार करते हैैं। वे अपनी कमाई का दसवां हिस्सा कौम के नाम पर देते हैैं। ये फंड कहां इकट्ठा किया जाता है? उसका डिस्ट्रीब्यूशन किस हिसाब से होता है? आम लोगों तक या मतांतरण में शामिल लोगों को पास तक फंड कैसे पहुंचता है? ये सारी बातें जांच में शामिल की गई हैैं। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि जिन लोगों को 41 के नोटिस पर छोड़ा गया है, उनसे पूछताछ की जाएगी और बयान दर्ज किए जाएंगे।
नहीं चल रहा वादी संजय वाल्मीकि का पता
बजरंग दल के पदाधिकारी कृष्णा तिवारी ने पुलिस को बताया कि उन्होंने दो बार अर्मापुर के सर्वेंट क्वार्टर में जाकर वादी संजय वाल्मीकि की जानकारी की, लेकिन उसका पता नहीं चला। उसने पुलिस को बताया कि संजय की पत्नी और उसके ससुराल वाले पहले से ही क्रिश्चियनिटी अपना चुके हैैं। परिवार वाले संजय पर दबाव बना रहे थे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। उन्हें डर है कि कहीं परिवार वालों ने संजय को न गुम करा दिया हो।
थाने में हंगामे का वीडियो हुआ वायरल
इसके अलावा सोमवार को दो वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कई लोग थाने के ऑफिस मेें हंगामा करते दिखाई दे रहे हैैं। बजरंग दल के पदाधिकारी ने बताया कि थाने लाने के चंद मिनट बाद ही उन्नाव के नवाबगंज स्थित चर्च में जमा हुए लोग नवाबगंज थाने पहुंच गए और हंगामा करने लगे और दोनों आरोपियों को थाने से छुड़ा ले गए। वहीं, पुलिस का कहना है कि धारा-41 का नोटिस जारी किया था। एफआईआर में धाराएं ऐसी हैं, जिसमें 7 साल से कम की सजा थी, इसलिए थाने से छोड़ा गया था।
क्या है मामला
बजरंगदल की सूचना पर नवाबगंज थाने की पुलिस ने शनिवार रात दो बसों को गंगा बैराज से पकड़ा था। इसमें सवार अर्मापुर निवासी संजय वाल्मीकि ने आरोप लगाया था कि उनका जबरन धर्मांतरण के लिए उन्नाव की एक चर्च ले जाया जा रहा है। बस में सवार 80 फीसदी लोग रुपए, इलाज समेत अन्य प्रलोभनों में फंसकर अपना मतांतरण कराने जा रहे हैं। नवाबगंज पुलिस ने मामले में संजय वाल्मीकि की तहरीर पर कल्याणपुर निवासी साइमन विलियम और विष्णुपुरी कोहना निवासी दीपक मोरिस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। कार्रवाई उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत हुई।
एफआर, उनकी रि-इनवेस्टिगेशन के आदेश
एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि जिन मामलों में चार्जशीट लगी है, इसके अलावा जिन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगी है। उन मामलों की जांच की जाएगी कि आखिर उनमें फाइनल रिपोर्ट कैसे लगा दी गई। बताते चलें कि रावतपुर की थारू बस्ती में बीते साल एक मामला सामने आया था जिसमें बच्चे की छठी की दावत के दौरान प्रेयर का आयोजन किया गया था। इसका वीडियो सामने आने के बाद केस दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच थारू बस्ती से आगे नहीं बढ़ पाई थी। इसके अलावा चकेरी थाने के दो मामलों में एफआईआर दर्ज हुई थीं, इन मामलों में भी फाइनल रिपोर्ट लगाई गई थीं। घाटमपुर का एक, नवाबगंज के दो और कर्नलगंज के दो मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई थी।