कानपुर(ब्यूरो)। दान का महापर्व कहलाने वाली मकर संक्रांति पर लोग खिचड़ी से लेकर वस्त्र व तमाम तरह की चीजें दान में देते हैैं। इस दान का पौराणिक महत्व माना गया है, लेकिन पुराणों में ही वर्णित है कि शिक्षा एक महादान है। शिक्षा दान मतलब किसी को पढ़ाना, किसी की पढ़ाई में फाइनेंसियल मदद कर देना। जब यह दान पाने वाला विद्यार्थी कुछ बन कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग करता है तो दान करने वाले का मन भी बहुत खुश होता है। ऐसी ही खुशी पाने के लिए आईआईटी व एलएलबी की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स ने ओपेन पाठशाला की शुरुआत छह साल पहले की थी। अब यहां लगभग 100 बच्चे हर संडे पढऩे आते हैैं। कुछ बच्चे इनमें ऐसे हैैं जो पढ़ाई में मन नहीं लगाते थे, लेकिन अब वे बच्चें पूरी लगन के साथ पढ़ाई कर रहे हैैं।

संडे को पार्क बन जाता पाठशाला

नजीराबाद राजापुरवा स्थित अंबेडकर पार्क हर संडे को शिक्षा के मंदिर में कुछ घंटों के लिए बदल जाता है। इलाके में ही रहने वाले 10 स्टूडेंट्स ने एक एनजीओ की पहल पर राजापुरवा स्थित नन्हें मुन्ने बच्चों के लिए ओपन क्लास की शुरुआत की थी। वहां बच्चों को पढ़ा रहे साजन बताते है कि वह और उनके 10 साथी बीते छह साल से हर संडे को पार्क में बच्चों को पढ़ाते है। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में 30 से 40 बच्चे थे। अब क्लास में 100 से अधिक बच्चे आते हैं।

गवर्नमेंट जॉब के लिए तैयारी कर रहे

साजन बताते है कि बच्चों को पढ़ाने में उनके साथ राजा ताराचंडी, आनंद पांडेय, आकाश साहू, प्रेम, अनिकेत सिंह, आकांक्षा, तन्नू पांडे, संदीप व भूमि हंै। उन्होंने बताया कि टीम के आधा से अधिक मेंबर्स को खुद प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई कर रहे है। वहीं कुछ जॉब व विभिन्न गवर्नमेंट जॉब के लिए तैयारी कर रहे है।

बिस्कुट, चॉकलेट व स्टेशनरी देते फ्री

राजापुरवा निवासी साजन ने बताया कि ओपन क्लास में आने के लिए नन्हें-मुन्नों का इंट्रेस्ट बढ़ाने के लिए उनको क्लास के बाद बिस्कुट, चॉकलेट व पेंसिल व किताबे भी फ्री में वितरण की जाती है। उन्होंने बताया कि कुछ जिंदादिल लोग आए दिन संडे को हमारी क्लास का हिस्सा बनते है और बच्चों को अपनी तरफ से खाने पीने की सामग्री व स्टेशनरी बांटते हैं।