कानपुर (ब्यूरो) आईआईटी में दो अलग अलग गाडिय़ों में अलग अलग तरह का बदलाव किया गया है। एक कार्बोरेटर वाली गाड़ी के फ्यूल सप्लाई जैक को मॉडीफाई किया गया है। इसको एम15 नाम दिया है। वहीं दूसरी इंजेक्टर सिस्टम वाली गाड़ी के इलेक्ट्रिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) में स्वयं से प्रोग्रामिंग करके फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम को बदला गया है। इस गाड़ी को एम 85 नाम दिया गया है।
ऐसे मिलाना होगा मेथेनॉल
एम15 में 150 एमएल मेथेनॉल और 850 एमएल पेट्रोल मिलाना होगा। वहीं एम 85 में 850 एमएल मेथेनॉल और 150 एमएल पेट्रोल मिलाना होगा। दोनों गाडिय़ों में बदलाव के अनुसार मेथेनॉल और पेट्रोल के मिलाने के अनुपात को तय किया गया है।
पेट्रोल के मुकाबले आधा माइलेज
मेथेनॉल मिलाकर चलने वाली गाड़ी का माइलेज पेट्रोल की तुलना में आधा होगा। इसका कारण यह है कि मेथेनाल की ज्वलनशीलता पेट्रोल की अपेक्षा ज्यादा होती है। हालांकि पेट्रोल की तुलना में मेथेनॉल सस्ता होने की वजह से माइलेज कम होने के बाद भी डेढ़ गुना रुपयों की सेविंग होगी।
देश में बन रहा है मेथेनॉल
पेट्रोल के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैैं लेकिन मेथेनॉल का प्रोडक्शन देश में होना शुरू हो गया है। इसको आसाम पेट्रोकेमिकल लिमिटेड, एनटीपीसी और भेल ने बनाना शुरू कर दिया है। बताते चलें कि इसको कोयले और बायोमास समेत कई चीजों से बनाया जा रहा है। इसके अलावा वातावरण से मिलने वाली कार्बन डाई आक्साइड को हाइड्रोजन के साथ रिएक्शन करके भी इसको बनाया जा रहा है।
ट्रायल हुआ सक्सेस
हार्दिक ने बताया कि गाडिय़ों के फ्यूल सिस्टम चेंज करके उसको कैंपस में चलाया भी गया है। गाडिय़ों के चलने में कोई भी प्राब्लम नहीं हुई है। गियर बदलने और स्पीड घटाने या बढ़ाने पर भी गाड़ी के संचालन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
यह होगा फायदा
- पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से मिलेगी राहत
- मेथेनॉल में ऑक्सीजन होने से पाल्यूशन कम।
- देश में बनेगा, जिससे उपलब्धता आसानी से होगी।
-इंटरनेशनल मार्केट में फ्यूल की डिपेंडेसी खत्म होगी।