कानपुर (ब्यूरो) एनएसवीएस पानी की पीएच, चालकता और ऑक्सीजन क्षमता जैसे तीन महत्वपूर्ण मापदंडों को समझ सकती है। इसका उपयोग घुलित ठोस (टीडीएस), विशिष्ट गुरुत्व और पानी में धातु आयनों की उपस्थिति का अनुमान लगाने के लिए किया जाएगा। सिस्टम स्वायत्त रूप से प्रत्येक पंद्रह मिनट में डेटा एकत्र करेगा और संस्थान को वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से इसकी रिपोर्ट करेगा।


31 अक्टूबर को हुआ इनॉगे्रशन
एनएसवीएस प्रणाली का इनॉग्रेशन 31 अक्टूबर को गंगा में बिठूर के लक्ष्मण घाट पर आईआईटी कानपुर के अनुसंधान और विकास के डीन प्रो। एआर हरीश ने किया था। प्रो। बिशाख भट्टाचार्य के नेतृत्व में प्रधान अन्वेषक के रूप में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरों की एक टीम ने इस परियोजना को कार्यान्वित किया गया है।


गंगा पर हो रहा रिसर्च
डायरेक्टर प्रो। अभय करंदीकर ने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि सांस्कृतिक विरासत है और इसलिए इसे किसी भी नुकसान से बचाने की हमारी जिम्मेदारी है। आईआईटी कानपुर गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र और उस पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए रिसर्च और विभिन्न तंत्र विकसित कर रहा है। उन्होंने एनएसवीएस प्रणाली के इनॉग्रेशन पर प्रो। बिशाख भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली टीम को बधाई दी।