- किसान के घर अनाज नहीं आंसू निकलने के हालात बने
- जिला कृषि विभाग का दावा 100 फीसदी किसानों का फसल बीमा हो चुका
KANPUR : प्रकृति की मार से इस साल भी अन्नदाता के घर पर अनाज की जगह आंसू आने के आसार बन गए हैं। बिठूर के बरहट बांगर गांव के किसान तो माथा पकड़ कर कह रहे हैं कि हम लोगन की ई समय किस्मतवा ही खराब चल रही है। गेहूं की फसल तो गई। अब साल भर का अनाज मोल खरीद कर खाय का परी।
हर खेत का यही हाल
यह हाल क्षेत्र के हर खेत में दिख रहा है। जहां गेहूं की फसल तेज हवा की मार से औंधी पड़ी है। इस फसल को तैयार होने में अभी करीब 20-30 दिन का समय था, लेकिन आंधी-पानी की आपदा ने समय से पहले ही इसे तबाह कर दिया। कहने को तो कानपुर डिस्ट्रिक्ट में 1.96 हेक्टेयर जमीन पर रबी की फसल का प्रोडक्शन टारगेट 38.257 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन अब जो हालात आज की तारीख में बन रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि अगर आधी फसल भी बच जाए तो किसान सिर्फ साल भर के खाने का ही इंतजाम कर पाएंगे।
कहीं पिछले साल जैसे हालात
सीएसए के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सुपर कम्प्यूटर में मौसम के बारे में जो संकेत मिल रहे हैं उससे अभी आने वाले समय में तेज हवा के साथ बारिश होने की पूरी संभावना है। जिला कृषि अधिकारी नरोत्तम कुमार का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो पिछले साल जैसी दशा होने के आसार न बन सकते हैं।
नहीं बटा पिछला मुआवजा
2015 में भी आसमानी आफत ने किसानों को बर्बाद कर दिया था। तैयार फसलों की तबाही देख कर तमाम किसानों ने आत्महत्या कर ली तो कुछ ने सदमे में दम तोड़ दिया था। शासन ने अन्नदाता की बर्बादी का मुआवजा देने का ऐलान किया था। मुआवजे की रकम का काफी हिस्सा आ चुका है, लेकिन प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही से मुआवजे की सभी चेके अभी तक नहीं बट पाई है। जो चेके बटी भी हैं, उनमें भी फर्जीवाड़े के कई खेल सामने आ रहे हैं।
100 पर्सेन्ट किसानों का बीमा है
जिला कृषि अधिकारी ने दावा किया है कि इस बार अगर फसल बर्बाद होती है तो किसानों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस बार करीब-करीब 100 फीसदी किसानों का फसल बीमा किया जा चुका है। जबकि पिछले साल सिर्फ 12 हजार किसानों का ही बीमा था।
मोदी का कौनो कसूर नाही
बरहट बांगर में किसानों के बीच चर्चा हो रही थी कि दो साल से प्रकृति की मार ने किसानों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों साल मोदी की सरकार है। तब कई किसान एक साथ बोले कि इमां मोदी का कौनो कसूर नाही, यह तो ऊपर वाले का कहर है।
(वर्जन वर्जन वर्जन)
फसल जब तैयार होने पर आ गई तब यह बारिश मुसीबत बन कर आ गई। आगे क्या होगा, भगवान ही जाने।
राधेलाल तिवारी
इस समय पानी बरसने का कोई टाइम नहीं है। फिर भी बरस रहा है। मौसम का अब कोई ठिकाना नहीं रहा।
जयनारायण अवस्थी
फसल अच्छी होने का भरोसा था। इसी से पूरा घर चलता है। हजारों रुपए की फसल बर्बाद हो गई किससे कहें।
राजेश कुमार
फसल से ही किसान के घर में पैसा आता है। इस बार जो हालत दिख रही है उससे कई किसान तो भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे।
केशव तिवारी
आंधी-बारिश पर किसी का जोर नहीं चलता। भगवान की जैसी मर्जी है वैसा होगा। फसल बर्बाद होने का मतलब है मेहनत पर पानी फिरना।
लखन तिवारी