इस मौक़े पर उनके साथ काम कर चुके कलाकारों ने बीबीसी के साथ बांटी ऋषि दा से जुड़ी यादें। गोलमाल में मुख्य भूमिका निभाने वाले अमोल पालेकर अपने आपको बेहद भाग्यशाली मानते हैं कि वो ऋशिकेष मुखर्जी के अंतिम दिनों तक भी उनके बेहद क़रीब थे।
अमोल के मुताबिक़ ऋषि दा उन्हें अपना बेटा भी मानते थे और उनकी बहुत इज़्ज़त भी करते थे। उन्होंने कहा, "ऋषिकेश दा कभी भी निर्देशक के तौर पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश नहीं करते थे। वो सिर्फ़ सीधे-साधे तरीके से कहानी कहने में यक़ीन रखते थे। वो कलाकारों के लिए बेहद सहज माहौल बना देते थे, जिससे सभी को ऐक्टिंग करते समय बड़ी आसानी होती थी."
अमोल पालेकर ने बताया कि वो निर्माता के बजट का बहुत ध्यान रखते थे। वो रीटेक्स लेने में यक़ीन नहीं रखते। अमोल पालेकर ने कहा, "कभी हम कहते कि ऋषि दा ये शॉट अच्छा नहीं हुआ। एक और टेक करते हैं। तो वो कहते कि नहीं बेटा अच्छा तो किया है। फिर भी हम नहीं मानते तो वो कहते कि ठीक है एक टेक और लेते हैं। फिर वो दूसरा टेक जैसे ही पूरा होता तो वो कहते वाह, वाह। क्या बात है। मज़ा आ गया। लेकिन हम पहला टेक ही रखेंगे."
अमोल पालेकर ने बताया कि गोलमाल की शूटिंग के वक़्त बिलकुल पिकनिक जैसा माहौल था। और वही बात फ़िल्म में भी नज़र आई। इसलिए गोलमाल इतनी मज़ेदार बन पड़ी। इसकी शूटिंग कब ख़त्म हो गई पता ही नहीं चला।
ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म रंग बिरंगी में काम कर चुके फ़ारुख़ शेख़ कहते हैं कि ऋषि दा उन्हीं कलाकारों के साथ काम करते थे जिनके साथ काम करके उन्हें ख़ुशी मिलती थी। इसलिए ज़्यादातर वो अपनी फ़िल्मों में कलाकारों को रिपीट करते थे।
फ़ारुख़ शेख़ ने बताया कि वो वक़्त के बड़े पाबंद थे। एक बार एक बड़े स्टार उनके सेट पर नौ बजे की शिफ़्ट में 12.30 बजे आए। ऋषि दा बहुत गुस्से में थे। जैसे ही वो स्टार मेक-अप करके शॉट के लिए तैयार हुए ऋषि दा ने कहा पैक-अप। आज शूटिंग नहीं होगी।
ऋषिकेश मुखर्जी की बतौर निर्देशक आख़िरी फ़िल्म झूठ बोले कौवा काटे में मुख्य भूमिका निभाने वाली जूही चावला कहती हैं कि वो बड़े अनुशासित फ़िल्मकार थे। सामान्यत: उनकी फ़िल्मों की शूटिंग वक़्त से पहले ही ख़त्म हो जाती थी। उनका सेट एक परिवार की तरह होता था।
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