कानपुर (ब्यूरो)। शहर की सडक़ों पर आबादी और वाहनों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। रोजाना सैकड़ों नए वाहन सडक़ पर उतरते हैं। सिर्फ शहर में ही 17 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा दूसरे शहरों से लाखों वाहन रोजाना शहर में एंट्री करते हैं। 450 से ज्यादा मेजर चौराहे हैं जबकि पूरी ट्रैफिक व्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए महज 1300 ट्रैफिक पुलिसकर्मी व अधिकारी हैं। जरूरत का लगभग 60 परसेंट ही ट्रैफिक स्टाफ है। ऐसे में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था कंट्रोल हो भी तो कैसे? हालांकि टेक्नोलॉजी पर करोड़ों रुपए खर्च कर व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास हो रहा है लेकिन मेंटिनेंस न होने से ये टेक्नोलॉजी भी दम तोड़ देती है।
करोड़ों खर्च के बाद भी
सैकड़ों चौराहों को ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम और कमरों से लैस किय गया है। सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए बीते पांच सालों में करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा चुके है। लेकिन इसका लाभ कानपुराइट्स को नहीं मिल पा रहा है। कहीं मेट्रो की खुदाई ने सिग्नल की लाइट उड़ा रखी है तो कई चौराहों में लचर सिस्टम की वजह से आज तक सिग्नल व्यवस्था चालू ही नहीं हो सकी। ट्रैफिक पुलिस के मैन पावर की बात करें तो स्वीकृत पद से भी संख्या कम है। जिसकी वजह से अभी भी सिटी के बड़े दर्जनों चौराहों पर ट्रैफिक स्टॉफ की तैनाती नहीं होती है।
सालों सें मैनपावर की कमी
सिटी में व्हीकल की संख्या को दिन में दिन बढ़ती जा रही है। हर वर्ष लगभग एक लाख नए वाहन सडक़ों पर आ जाते है। वहीं अगर हम ट्रैफिक सिस्टम का संचालन करने वाले स्टॉफ की तरफ ध्यान दे तो बीते 10 सालों से डिपार्टमेंट में मैनपॉवर की काफी कमी रही है। जिसकी वजह से आफिसर्स चाह कर भी ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त नहीं कर सकते हैं। फिलहाल सिटी में कमिश्नरेट लागू होने के बाद ट्रैफिक पुलिस में मैनपॉवर की कमी थोड़ी दूर हुई है।
17 लाख वाहन, स्टाफ सिर्फ 1315
आरटीओ के आंकड़ों के मुताबिक सिटी में वर्तमान में लगभग 17 लाख वाहन रजिस्टर्ड है। वहीं ट्रैफिक पुलिस में आफिसर्स से लेकर पीआरडी जवान तक की स्ट्रेंथ मात्र 1315 है। अगर हम वाहनों की संख्या व ट्रैफिक पुलिस के स्टॉफ का आकलन करे तो एक स्टॉफ पर लगभग 1300 वाहनों का लोड है। इससे साफ है कि सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए टेक्नोलॉजी बढ़ाने के साथ मैनपावर की कमी को भी दूर करना होगा।
50 परसेंट चौराहे नहीं होते कवर
सिटी के अगर मेजर चौराहों की बात करें तो नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 450 चौराहे व तिराहे हैं। जहां सुबह 9 से लेकर रात 10 बजे तक ट्रैफिक लोड अधिक होता है। वहीं अगर हम ट्रैफिक पुलिस के तैनात होने वाले चौराहों की संख्या देखे तो मात्र 220 चौराहे व तिराहे हैं। जहां पर डिपार्टमेंट से स्टाफ की तैनाती होती है। जोकि चौराहों की संख्या को देखते हुए लगभग 50 परसेंट के आसपास हैं।
शासन को भेजा है प्रस्ताव
जेसीपी नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि नियतन से कम ट्रैफिक पुलिसकर्मी कानपुर कमिश्नरेट में पहले से हैं। साथ ही शासन को नए थाने बनने के मुताबिक पुलिस बल बढ़ाने के लिए मांग पत्र भेजा गया है। नई भर्ती के सिपाही भी कानपुर कमिश्नरेट को दिए जाएंगे। वर्तमान में आउटसोर्सिंग में ट्रैफिक क्रेन व स्टाफ लगाया गया है। शासन से 50 लाख के ट्रैफिक उपकरण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। उसके पास होते ही डिपार्टमेंट की खुद की क्रेन भी हो जाएगी।
34 करोड़ से बनाया था आईटीएमएस
सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने और वाहन चालकों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018 में शासन की तरफ से 34 करोड़ रुपए से इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम &आईटीएमएस&य तैयार किया गया। के 68 चौराहों को ऑटोमैटिक सिग्नल से लैस किया गया था। जिसके तहत चौराहों पर सिग्नल और हाईटेक कैमरे लगाए गए। कैमरों के जरिए ऑनलाइन चालान कर घर भेजा जाने लगा। इसके अलावा स्मार्ट बूथ भी लगाए थे। वर्तमान में 15 चौराहों पर ही सिग्नल काम कर रहे हैं। बाकी चौराहों पर मेट्रो की खुदाई की वजह से बंद पड़े हुए हंै।