कानपुर (ब्यूरो) नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, 10 हजार की आबादी पर 28 कर्मचारियों की जरूरत होती है, लेकिन वर्तमान में इतने ही आबादी में लगभग 16 सफाई कर्मचारी है। इनमें से भी औसतन रोजाना तीन से चार कर्मचारी किसी ने किसी वजह से छुट्टी पर होते हैं। वर्तमान में लगभग हर वार्ड में सफाई कर्मचारी की जरूरत है।

2007 के बाद से नहीं निकली भर्तियां
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, सफाई कर्मियों की कुल संख्या 5414 है। हैरानी की बात है इनमे से 1469 कर्मचारी महज 27 प्रतिशत ही नियमित है, जबकि बाकी के कर्मचारी चयनित अचयनित (संविदा) 1883 व आउटसोर्स के 2062 कर्मचारी हैं। अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2007 के बाद से नगर निगम में सफाई कर्मचारियो के लिए सरकारी वैकेंसी नहीं निकली है।

बजट न होना बता रहे कारण
साफ सफाई को लेकर हर वर्ष सलाना करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, कई बार सफाई कर्मचारियों को बढ़ाने को लेकर मुद्दा भी उठाया गया है, लेकिन बजट न होने का हवाला दिया जाता है।

ऐसे कैसे बनाएगा टॉप-5 में जगह
हाल ही में शहरी एवं विकास मंत्रालय की तरफ से जारी हुए स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 की रैंकिंग में कानपुर को देश में 21वां स्थान प्राप्त हुआ था। जबकि 2020 में रैंकिंग 25वें नंबर पर थी। 24 व 25 नवंबर को कानपुर दौरे पर आए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कानपुर को देश में टॉप-5 स्वच्छ शहरों में शामिल होने का आवाह्नन किया है। इसके बाद से सर्वेक्षण-2022 की रैकिंग में कानपुर को टॉप-5 में लाने की कवायद चल रही है।