इस घटना ने भारत और इटली के बीच एक कूटनयिक बवाल खड़ा कर दिया है और दोनों देश इसे सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। बीबीसी ने केरल में इस मछुआरों के साथियों और उनके परिजनों से बातचीत की है। जे फ़्रेडी नाम के मछुआरे ने जिस वक्त गोलियों की आवाज़ सुनी तो वो सो रहा था।
अब फ़्रेडी उस घटना को यादकर बताते हैं, “मैंने देखा कि अचानक नाव को चला रहे मेरे साथी वेलेंटाइन गिर गए। उनके कान और नाक से ख़ून बह रहा था। मुझे लगा कि वो बीमार हैं। गोलियों के निशान मैंने बाद में देखे। मैं बिना कुछ सोचे नाव को उस बड़े-से जहाज़ से दूर ले जाने लगा। ”
जिस बड़े जहाज़ का ज़िक्र फ्रेडी कर रहे हैं उसका नाम है एनरिका लेक्सी। ये एक इतालवी तेल टैंकर है जो 34 सदस्यों के साथ सिंगापोर से मिस्र जा रहा था।
अपनी छोटी सी नाव के आस-पास टहलते हुए तीस वर्षीय फ्रेडी ने मुझे गोलियों के निशान दिखाए। उन्होंने कहा कि उस घटना की याद मात्र से वो भयभीत हो जाते हैं। फ्रेडी ने बताया कि वो ज़िंदा बच निकले इसके लिए खुद सौभाग्यशाली मानते हैं।
जे फ़्रेडी कहते हैं, “मैं दस साल से मछलियां पकड़ने का काम कर रहा हूं और मैंने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा। अब में दोबारा समुद्र में नहीं जाना चाहता। मैं डरा हुआ हूं और मेरा परिवार भी। पहले समुद्र में जाने पर मुझे बहुत आनंद आता था लेकिन अब ज़िंदा वापस लौटने की कोई गांरटी नहीं है.” उनकी नाव यानि सेंट एंटनी अब चारों तरफ़ से पुलिस के घेरे में बंदरगाह पर खड़ी है।
मुआवज़े की मांग
नाव से कुछ ही दूरी पर मूथकारा नाम की मछुआरों की बस्ती है। 48 साल के वेलेंटाइन अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ यहीं रहते थे। वेलेंटाइन की मौत के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी समेत कई वीआईपी यहां आए हैं। वेलेंटाइन की पत्नी डोरा अपने परिवार के लिए न्याय की मांग कर रही हैं और उनका कहना है कि सरकार को समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
परिवार ने इतालवी शिपिंग कंपनी पर एक करोड़ रुपए मुआवज़े की मांग की है। उनके वकील सी उन्नीकृष्णन कहते हैं कि वो इससे भी अधिक मुआवज़ा मांगेंगे। सी उन्नीकृष्णन ने कहा, “ एक करोड़ रुपए का दावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के हिसाब से कम है। हम इसे बढ़ा कर ढाई करोड़ करने की योजना बना रहे हैं। ”
लेकिन अब ऐसे भी संकेत आ रहे हैं कि ये मामले अदालत के बाहर ही सुलझ जाएगा। हालांकि दोनो तरफ जन आक्रोश बहुत अधिक है। स्थानीय मछुआरे चाहते हैं कि इतालवी नाविकों को यहीं सज़ा दी जाए।
लेकिन इटली नाविकों को छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रहा है। उनका तर्क है कि ये हादसा अंतरराष्ट्रीय सीमा में हुआ है जोकि भारतीय कानून के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है।
इस हादसे ने हिंद महासागर में पाइरेसी यानि समुद्री डकैतियों को मुद्दे पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है। भारत सरकार अब कानूनों में परिवर्तन के बारे में सोच रही है ताकि समुद्र तट की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। जहाज़ों पर हथियारबंद गार्डों की तैनाती से संभावित डकैत तो डर जाएंगे लेकिन इनसे कुछ परिवारों का जीवन तबाह भी हो सकता है।
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