अमरीका में रहने वाले हेंस गलासी ने वेक-बोर्डिंग के दौरान एक दुर्घटना में अपनी कई उंगलियां गवां दीं। बाद में इनमें से एक उंगली मछली के पेट में मिली।

सवाल उठता है कि ये कैसे पता चला कि वो उंगली हेंस की थी? यदि ये कहा जाए कि हेंस के फिंगर प्रिंट से इस उंगली की पहचान हुई तो दूसरा सवाल उठता है कि कटी उंगली के फिंगर प्रिंट मिटे क्यों नहीं और ये आखिर कब तक कायम रहते हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि हर इंसान एक ख़ास तरह के फिंगर प्रिंट के साथ पैदा होता है और उसकी ये पहचान कभी नहीं मिटती है। ये खास तरह के निशान न केवल अंगुलियों पर बल्कि हथेली और तलवों में भी होते हैं।

रोचक बात ये है कि कुछ क्रियाकलापों जैसे ईट बनाना, बर्तन साफ करने से ये निशान कुछ समय के लिए गायब हो सकते हैं, लेकिन जैसे ही आप इन कामों को करना बंद करते हैं, ये निशान दोबारा अपनी जगह उभर आते हैं।

आग और तेज़ाब भी नाक़ाम

वर्ष 1930 के दशक की बात है। अमरीका में जॉन डिंलिंजर नामक एक कुख्यात गैंग्सटर था। उसने तेज़ाब और आग से अपने फिंगर प्रिंट मिटाने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी ये कामयाबी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी।

जली हुई त्वचा कुछ समय बाद ठीक हो गई और उसकी उंगलियों पर वो निशान दोबारा आ गए जिन्हें फिंगर प्रिंट कहते हैं। यानी फिंगर प्रिंट किसी इंसान की पहचान करने वाले वो अजर-अमर निशान है जिन्हें कुछ समय के लिए हटाया तो जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए मिटाया नहीं जा सकता।

रॉबर्ट फिलिप्स नाम के एक अपराधी ने तो अपने फिंगर प्रिंट मिटाने के लिए अपने सीने की त्वचा को सर्जरी के ज़रिए अपनी उंगलियों पर लगवा लिया था। लेकिन वो भी नाकाम हुआ और उसे हथेली पर मौजूद निशानों की मदद से पकड़ लिया गया।

'फ्रिक्शन-रिज़ेस'

ब्रिटेन की पुलिस के लिए मैन्युअल तैयार करने वाले फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट ऐलन बायली, इंसान की पहचान करने वाले इन खास निशानों को 'फ्रिक्शन-रिज़ेस' कहते हैं। वो बताते हैं कि इंसान की मौत के बाद भी ये निशान कायम रहते हैं।

ऐलन बायली बताते हैं कि हेंस गलासी के मामले में भी यही हुआ, उनकी उंगलियों की त्वचा भले ही निकल गई, लेकिन 'फ्रिक्शन-रिज़ेस' नष्ट नहीं हुए।

उनका ये भी कहना है कि पानी में त्वचा कितनी जल्दी या देर से सड़ेगी, ये कई बातों पर निर्भर करता है। ऐलन कहते हैं, ''पानी यदि बहुत ठंडा है तो त्वचा देर से सड़ेगी और जिस मछली ने उंगली निगली थी, उसका शरीर भी पानी के बराबर ही ठंडा था.''

लेकिन सवाल ये भी उठता है कि मछली के पेट में ये उंगली पची क्यों नहीं? वैसे हम इस बात का भी पता नहीं लगा सकते कि मछली ने दुर्घटना के कितने देर बाद हेंस की उंगली निगली थी।

लेकिन बायली का मानना है कि इस उंगली की बाहरी त्वचा को मछली यदि पचा भी लेती, तब भी 'फ्रिक्शन-रिज़ेस' की मदद से उसकी पहचान कर ली जाती। बायली कहते हैं, ''आपकी मौत होने पर जो चीजें देर तक कायम रहेंगी, फिंगर प्रिंट उनमें से एक है.''

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