ये होटल प्योंगयांग में सबसे ऊंची इमारत है। लेकिन इसमें जितनी अड़चनें आईं, उन्हें देखते हुए ये ‘मनहूस होटल’ के नाम से बदनाम हो गई। वैसे इसका नाम रयुगयोंग होटल है।
रयुगयोंग का प्रबंधन केम्पिंस्की नाम का समूह संभालेगा। इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेटो विटवर का कहना है कि इमारत की सबसे ऊपर वाली मंजिलों पर बने सिर्फ 150 कमरों को ही होटल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। विटवर के अनुसार निचली मंजिलों पर दुकानें, रेस्तरां और दफ्तर होंगे। ये दुनिया में 47वीं सबसे ऊंची इमारत है जिसकी ऊंचाई 330 मीटर है।
'सबसे खराब इमारत'
इस होटल का निर्माण 1987 में शुरू हुआ था। इसका निर्माण योजना के अनुसार 1987 में पूरा हो जाना था। खास कर ये योजना 13वें विश्व युवा और छात्र उत्सव को ध्यान में रख कर बनाई गई थी।
लेकिन ये योजना निर्धारित समय से लंबी खिंचती चली गई और 1992 में उस वक्त इसका काम रोक दिया गया जब उत्तर कोरिया आर्थिक संकट में घिर गया।
विश्लेषकों का कहना है कि ये विशालकाय और अधूरी इमारत बहुत समय तक उत्तर कोरियाई नेतृत्व के लिए शर्मिंदगी का कारण रही।
‘एस्क्वायर’ पत्रिका ने 2008 में इसे मानवीय इतिहास की 'सबसे खराब' इमारत का तमगा दिया। इस अमरीकी पत्रिका ने इस इमारत को बेहद भद्दा करार दिया। इस इमारत के निर्माण में खामियां और खराब सामग्री इस्तेमाल होने की भी खबरें आईं।
कोरिया में यूरोपीय संघ के वाणिज्य परिसंघ के प्रतिनिधिमंडल ने 15 साल पहले इस इमारत का दौरा किया था और कहा कि इस इमारत की मरम्मत भी नहीं की जा सकती है।
बदला चेहरा मोहरा
लेकिन 2008 में मिस्र की एक कंपनी ओरासकॉम टेलीकॉम ने इस इमारत में उपकरण लगाने का काम शुरू किया। यही कंपनी उत्तर कोरिया में मोबाइल फोन सेवा मुहैया कराती है।
बताया जाता है कि इमारत के चेहरे मोहरे को सुधारने पर 18 करोड़ डॉलर खर्च किए गए हैं। विटवर का कहना है कि इस होटल को आंशिक रूप से अगले साल खोला जा सकता है। लेकिन रयुगयोंग को तीन हजार कमरों वाला होटल बनाने की मूल योजना पर अमल नहीं हो पाएगा।
इसी साल बीजिंग की एक कंपनी कोरयो टूर को इस होटल में जाने का मौका मिला। ये कंपनी पर्यटकों को उत्तर कोरिया की यात्राएं कराती है। इस कंपनी की ली गई तस्वीरों में कांच से बनी एक बड़ी सी होटल लॉबी दिखाई दी।
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