कानपुर(ब्यूरो)। कोई भी शाितर क्रिमिनल वारदात को अंजाम देने से पहले इस तरह से तैयारी करता है कि कोई सबूत छूटने न पाए। वह सिक्योरिटी प्लान से दो कदम आगे की सोचता है। साइबर क्रिमिनल्स भी इसी पैटर्न पर काम करते हैं। ऐसे में साइबर हैकर्स के अटैक को फेल करने के लिए आईआईटी कानपुर के सी3आईहब ने उनसे कहीं आगे की सोचते हुए तीन हनीपॉट लगाए गए हैं। यह हनीपॉट एक साइबर सर्विस की तरह काम करते नजर आते हैैं। साइबर हैैकर्स इनको हैक करने की कोशिश करते हैैं, जिससे उनका मैथड सी3आईहब में लगे सिस्टम में सेव हो जाता है। इन तीनों हनीपॉट को बंगलूरू, जर्मनी और यूएस में लगाया गया है। इन तीनों हनीपॉट्स पर डेली 2500 से ज्यादा अटैक के मामले रिकार्ड हो रहे हैैं।

बढ़ते जा रहे मामले
तीनों हनीपॉट की मॉनिटरिंग सी3आईहब से की जाती है। यहां अभी तक सबसे ज्यादा अटैक के मामले चीन, वियतनाम और रसिया से सामने आ रहे हैैं। इन देशों से हैकर्स सबसे ज्यादा अटैक करके साइबर सर्विसेज को अपने काबू में करने की कोशिश करते हैैं। वल्र्ड में साइबर हैकिंग के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैैं। बीते दिनों एम्स की वेबसाइट को कुछ समय के लिए हैक किया गया था। आईआईटी के हनीपॉट्स के डाटा के अनुसार एक मिनट में कई बार हैकर्स अटैक कर रहे हैैं। सी3आईहब के डाटा के अनुसार तीनों हनीपॉट्स पर डेली 2500 से ज्यादा बार हैकर्स अटैक कर रहे हैैं।


हैकर्स को मात देने की तैयारी
हनी ट्रैप की तर्ज पर हनीपॉट लगाने का मकसद हैकर्स के हैकिंग मैथड को पता लगाना है। हब में डेली का डाटा और हैकिंग मैथड को सेव किया जा रहा है। आने वाले समय में आईआईटी ऐसी सर्विसेज को डेवलप करेगा जो कि हैकर्स की पकड़ से दूर हों। उन सर्विसेज को बनाते समय यह डाटा उपयोगी साबित होगा। सर्विसेज डेवलप करते समय ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप की जाएगी, जिसमें कोई भी हैकिंग मैथड काम न करे।

रुस और यूक्रेन वॉर में भी
रूस और यूक्रेन वार के समय मैनपावर के साथ साथ साइबर हैकर्स भी एक्टिव थे। उस समय तीनों हनीपॉट्स पर रूस और यूक्रेन से सबसे ज्यादा अटैक किए गए हैैं। माना जा रहा है कि दोनों देश मैनपावर के अलावा हैकिंग के जरिए भी एक दूसरे को हराने की कोशिश कर रहे थे।

हनीपॉट पर इस तरह के प्रोटोकॉल
आईआईटी की ओर से हनीपॉट मेें कई तरह के प्रोटोकॉल्स को लगाया है। इस प्रोटोकॉल में रिमोट एक्सेस करने वाला एसएसएच, फैक्ट्रीज के आटोमेशन में यूज होने वाला बैकनेट, फाइल ट्रांसफर में यूज होने वाला एफटीपी, वेबसाइट ऑपरेशन में यूज होने वाला एचटीटीपी और मॉर्बस प्रोटोकॉल समेत कई तरह के प्रोटोकॉल्स को एक्टिव किया गया है। हैकर्स इन प्रोटोकॉल्स पर चल रही सर्विस को किसी देश या संस्थान की सर्विस मानकर अटैक करने की कोशिश करते हैैं तो उनकी एक्टिविटी सेव हो जाती है।


वल्र्ड में तीन जगहों पर हनीपॉट्स लगाकर कई प्रोटोकॉल्स को रन किया जा रहा है। हमारे हनीपॉट्स पर हर मिनट अटैक हो रहे हैं, जिनको रिकार्ड किया जा रहा है। इन हनीपॉट्स को लगाने की पीछे हैकर्स की टेक्निक और मैथड समझना है, जिससे आने समय में ऐसी सर्विसेज डेवलप की जाएं जो कि हैक न हो सकें।
प्रो। मणींद्र अग्रवाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सी3आईहब