ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया भर में एचआईवी संक्रमण 14 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर है और अधिक से अधिक लोगों तक दवाएँ पहुँच रही हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एचआईवी और एड्स के ख़िलाफ़ लड़ाई बहुत कारगर रही है जिसकी वजह से संक्रमण का प्रसार तेज़ी से घट रहा है।
यूएनएड्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि एचआईवी के ख़िलाफ़ जागरुकता अभियान की वजह से नए संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं वहीं उपचार सुलभ होने की वजह से एचआईवी को एड्स में बदलने से रोकने में कामयाबी मिल रही है। साथ ही, एड्स से होने वाली मौतों में भी काफ़ी गिरावट आई है।
पिछले वर्ष के आकलन के मुताबिक़ दुनिया भर में साढ़े तीन करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त हैं, लेकिन वार्षिक संक्रमण की दर में 21 प्रतिशत से कमी आई है, 1997 में एचआईवी संक्रमण अपने चरम पर था मगर उसके बाद से उसमें लगातार गिरावट आ रही है।
निम्म मध्यवर्गीय और निम्न आय वाले लोगों में से भी लगभग आधे लोगों को एंटी रेट्रोवायरल उपचार उपलब्ध है। मगर दुनिया के कई हिस्से ऐसे हैं जहाँ एड्स से पीड़ित लोगों की संख्या काफ़ी अधिक है। एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त लोगों की तादाद सबसे सहारावर्ती अफ़्रीका में है।
अगर किसी एक देश की बात करें तो सबसे अधिक एचआईवी संक्रमित लोग दक्षिण अफ्रीका में हैं, वहाँ 56 लाख लोगों को एचआईवी संक्रमण है, जानकारों का कहना है कि यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत सारे लोग एचआईवी की जाँच के दायरे से बाहर ही रह जाते हैं।
भारत जैसे देशों में भी पिछले दशक में एचआईवी संक्रमण और एड्स के मरीज़ों की तादाद बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी लेकिन अब इसमें काफ़ी गिरावट आई है। यूएनएड्स का कहना है कि एड्स से लड़ने के कारगर उपाय मौजूद हैं लेकिन निरंतर प्रयास जारी रखने की ज़रूरत है।
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