कानपुर(ब्यूरो)। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) का स्कूल ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (एसओईएम) छह जिलों में वाटर मैनेजमेंट के लिए डीपीआर तैयार करेगा। वह जिलों के हिसाब से डाटा तैयार करके आईडब्ल्यूएमपी को रिपोर्ट देगा। इस रिपोर्ट को तैयार करने के पीछे वाटर रिजर्व, रिसोर्स और वाटर शेड डेवलप करना है। सितंबर के अंत तक डीपीआर को तैयार करके डिपार्टमेंट को सौंपेगा। डीपीआर बनाने को लेकर एसओईएम की टीम ने काम स्टार्ट कर दिया है। बताते चलें कि इससे पहले एसओईएम (पूर्व स्टेप एचबीटीआई) कई गवर्नमेंट प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार कर चुका है।
इन जिलों की बनेगी डीपीआर
सेंट्रल गवर्नमेंट के आईडब्ल्यूएमपी की ओर से एमओईएम को कानपुर, कन्नौज, फतेहपुर, प्रयागराज, कौशांबी और हमीरपुर का डीपीआर तैयार करने को कहा गया है। रिपोर्ट को डाटा बेस पर तैयार किया जा रहा है। साथ में कई टेक्निकल प्वाइंट्स का ध्यान भी रखा जा रहा है।
क्या है आईडब्ल्यूएमपी
ग्रामीण विकास मंत्रालय का भूमि संसाधन विभाग वर्ष 2009-10 से इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (आईडब्ल्यूएमपी) चला रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2027 तक 55 मिलियन हेक्टेयर वर्षा सिंचित भूमि को कवर करना है। यह चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वाटरशेड प्रोग्राम है। इसमें वाटरशेड प्रबंधन पहलों के माध्यम से मिट्टी, वानस्पतिक आवरण और जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकने एवं इनका संरक्षण व विकास करके पारिस्थितिक संतुलन को पुन: बहाल करने की परिकल्पना की गई है।
आईडब्ल्यूएमपी की ओर से छह जिलों की डीपीआर बनाने का काम मिला है। सितंबर महीने के लास्ट तक रिपोर्ट को तैयार करके सबमिट कर दिया जाएगा।
डॉ। आशीष त्रिवेदी, एचओडी, एसओईएम (एचबीटीयू)