कानपुर (ब्यूरो) जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। डॉ। संजय काला ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण और विकलांगता का पहला प्रमुख कारण हैं। आम आदमी स्ट्रोक को लकवा व पैरालिसिस के रूप में भी जानता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक दो प्रकार के होते है। इस्केमिक यानी नसों में ब्लड की रुकावट आने से व ब्लड अधिक बहने से होता है। 80 से 85 स्ट्रोक इस्केमिक होते हैं। जिसमें एंटीप्लेटलेट दवाएं माध्यमिक रोकथाम के उपचार के स्वरूप में दी जाती है। वहीं अधिक ब्लड बहने से होने वाले स्ट्रोक में रक्तचाप नियंत्रण, बे्रन की सूजन कम करने पर जोर होता है।
समय से अपने वाले पेशेंट में विकलांगता कम
न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ। मनीष सिंह ने बताया कि अधिक रक्त बहने से आने वाले स्ट्रोक में पेशेंट के समय पर यानी 3 से 5 घंटे के अंदर हॉस्पिटल में पहुंचने से विशेष प्रकार का इंजेक्शन लगाया जाता है। जिसमें पेशेंट में विकलांगता की संभावना काफी कम हो जाती है।
एक्सपर्ट टीम यूनिट में रहेगी तैनात
डॉ। मनीष सिंह ने बताया कि स्ट्रोक यूनिट में पेशेंट के ट्रीटमेंट के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर्स, फिजियोथेरेपिस्ट और नर्सिंग स्टॉफ तैनात रहेगा। जीएसवीएम कानुपर का न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट आईसीएमआर और एम्स नई दिल्ली के आयोजित इम्पेटस स्ट्रोक अनुसंधान परियोजना में शामिल है। जो पूरे भारत में एक समान मानक स्वास्थ्य देखभाल और स्ट्रोक उपचार प्रदान करने पर केंद्रित है।
यूनिट में यह विशेषता
- इलेक्ट्रिक बेड
- वेंटीलेटर
- डॉक्टर्स की स्पेशल टीम
- थ्रोम्बोलिसिस की उपलब्धता
जीएसवीएम के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में ब्रेन स्ट्रोक की यूनिट खुलने से ब्रेन स्ट्रोक से पेशेंट की होने वाली मौतों में कमी आएगी। ब्रेन स्ट्रोक के हजारों पेशेंट को इससे राहत मिलेगी।
प्रो। डॉ। संजय काला, प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज