कानपुर (ब्यूरो) प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधान सभा में शून्य प्रहर के दौरान विशेषाधिकार हनन के इस मामले में प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कहा गया कि विधान सभा के तत्कालीन सदस्य सलिल विश्नोई की ओर से 25 अक्टूबर, 2004 को अब्दुल समद और पांच अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना दी गई थी। विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने 28 जुलाई, 2005 को अपनी रिपोर्ट में अब्दुल समद समेत छह पुलिस कर्मियों को विशेषाधिकार हनन व सदन की अवमानना का दोषी पाया था। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में विधान सभा की विशेषाधिकार समिति की बीती एक फरवरी और 27 फरवरी को हुईं बैठकों में भी इन सभी पुलिसकर्मियों को कारावास का दंड देने की सिफारिश की गई है।

ये हैं दोषी पाये गए पुलिसकर्मी
अब्ुदल समद के अलावा किदवईनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला और कांस्टेबल छोटे सिंह यादव, थाना कोतवाली के तत्कालीन दरोगा त्रिलोकी ङ्क्षसह, काकादेव थाने के तत्कलीन कांस्टेबल विनोद मिश्र व मेहरबान ङ्क्षसह यादव को मामले में दोषी पाया गया है। अब्दुल समद रिटायर हो चुके हैं। प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे के अनुसार प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद और पुलिस महानिदेशक डीएस चौहान को सभी दोषी पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक सदन में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

2004 का है ये मामला
जनरलगंज सीट से तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने 25 अक्टूबर, 2004 को विधान सभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि 15 सितंबर, 2004 को वह पार्टी कार्यकर्ताओं-धीरज गुप्ता, विकास जायसवाल, सरदार जसङ्क्षवदर ङ्क्षसह, दीपक मेहरोत्रा के साथ बिजली कटौती की समस्या को लेकर ज्ञापन डीएम को देने जा रहे थे। तभी सीओ बाबूपुरवा अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से जमकर पीटा और गालियां भी दीं। पिटाई से विश्नोई के दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था।