कानपुर (ब्यूरो)। अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोगों का वजन अचानक बढ़ जाता है, साथ ही वे पेट संबंधी और चिंता, तनाव जैसे मुद्दों का भी सामना करते हैं। शरीर के बढ़ते वजन को देखकर लोगों को लगता है कि वे अधिक कैलोरी खा रहे हैं, और वे सोचते हैं कि कैलोरी कम करने से उनकी समस्या हल हो जाएगी। लेकिन सभी मामलों में यह सिर्फ अधिक कैलोरी के सेवन से ही नहीं होता है, बल्कि कुछ मामलों में इस तरह की समस्याएं शरीर में हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण हो सकती हैं। ऐसे में अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही सभी तरह के हार्मोनल टेस्ट की सुविधा मिलेगी जिससे लोगों को टेस्ट के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा।
हार्मोन डिस्टर्ब होने से होती कई समस्या
डॉक्टरों की मानें तो अनियमित दिनचर्या व फास्ट फूड का अधिक यूज से यूथ में हार्मोनल इंम्बैलेंस हो रहा है। ऐसे में हार्मोनल जांच बेहद जरूरी होती है। हैलट हॉस्पिटल में कम उम्र में ही गांठ में दर्द की समस्या से ग्रस्त कई पेशेंट ट्रीटमेंट कराने को पहुंचते है। इसके साथ ही गायनिक डिपार्टमेंट में बांझपन, उम्र के साथ बच्चों का विकास ठीक से न होने की समस्या समेत अन्य समस्या लेकर पेशेंट आते है। ऐसे में इन बीमारियों का पता लगाने के लिए हार्मोनल जांच की जरूरत होती है। ऐसेे में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने सभी प्रकार की हार्मोनल जांच कराने का निर्णय लिया है।
बीमारी का पता चल सकेगा कारण
प्रो। संजय काला के मुताबिक यह जांच हैलट में अगले माह से शुरू हो जाएगी। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से बात की गई है। बजट मिलने के बाद पेशेंट की जांच यहीं पर होंगी। हार्मोनल जांच से पेशेंट में कई जटिलताओं की जानकारी आसानी से हो सकेगी। बीमारी का पता लगने के बाद उनका जल्द से जल्द ट्रीटमेंट शुरू किया जा सकेगा। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। महेंद्र सिंह ने बताया कि अभी यहां पर थायराइड हार्मोन की जांच की सुविधा है। इसके अलावा अन्य हार्मोनल जांच की सुविधा नहीं है। जल्द ही सभी प्रकार की हार्मोनल जांच की सुविधा होगी।
इसलिए जरूरी है हार्मोनल टेस्ट
थायराइड हार्मोन की कमी से हाइपो थायराइड की समस्या होती है, जिसमें शरीर में सूजन, वजन बढऩा और पेट की विभिन्न समस्या होती है। हाईपर थायराइड में वजन कम होना, शरीर पतला होना व स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है। विटामिन डी-थ्री जांच से बच्चों का विकास, हड्डी व जोड़ों में दर्द और विटामिन बी-12 जांच से खून की कमी, हाथ-पैर में जलन व चिड़चिड़ापन होता है।