-इमरजेंसी मेडिसिन में 12 सीटों पर होगी पीजी की पढ़ाई, कॉलेज को इंस्टीटयूट ऑफ नेशनल इंर्पोटेंस बनाने की पहल

-मेडिकल कॉलेज के तीन पूर्व छात्रों की जुगलबंदी कर रही कानपुराइट्स की हेल्थ को बेहतर बनाने की कोशिश

KANPUR: यूपी के सबसे बड़े स्टेट मेडिकल कॉलेज का दर्जा रखने वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अब अपने पेशेंट्स को दिल्ली और लखनऊ की दौड़ नहीं लगाने देगा। जल्द ही जीएसवीएम का चेहरा बदलने वाला है। एसजीपीआई व केजीएमयू लखनऊ, एम्स दिल्ली में होने वाला हर ट्रीटमेंट कानपुर में मिलेगी। क्योंकि जीएसवीएम को आईआईटी व आईआईएम की तर्ज पर इंस्टीटयूट ऑफ नेशनल इंर्पोटेंस बनाने के लिए पहल शुरू हुई है। इसके साथ ही इमरजेंसी मेडिसिन में भी पीजी की पढ़ाई शुरू होगी। जिससे क्रिटिकल डिसीज के ट्रीटमेंट के लिए पहले से ज्यादा ट्रेंड डॉक्टर्स तैयार होंगे। साथ ही इमरजेंसी में क्रिटिकल पेशेंट्स का इलाज बेहतर होगा।

ये हैं जीएसवीएम के जेम्स

जीएसवीएम को और भी बेहतर बनाने की पहले कॉलेज के की पूर्व छात्रों की ओर से हुई है। जिसमें एक पूर्व छात्र खुद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। आरती और दूसरे पूर्व छात्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन हैं जबकि तीसरे एक आईएएस अफसर डॉ.आरके वत्स हैं जोकि अभी एमसीआई में डीजी हैं। सभी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ही पढ़े हैं और आपस में अच्छे दोस्त भी हैं। मेडिकल कालेज के अपग्रेडेशन के लिए पिछली बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए डॉ.हर्षवर्धन ने 200 करोड़ की लागत से सुपरस्पेशिएलिटी कॉम्प्लेक्स का तोहफा दिया था। जिस पर तेजी से काम चल रहा है।

कानपुराइट्स को सीधा फायदा

मेडिकल कॉलेज में कई और ऐसे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं जो वक्त पर पूरे हो जाते हैं तो मेडिकल कॉलेज का चेहरा ही बदल जाएगा। इसका सीधा फायदा कानपुराइट्स को मिलेगा। संडे को दिल्ली में मेडिकल कालेज प्रिंसिपल डॉ.आरती लालचंदानी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन के बीच इस मसले पर काफी देर तक बात हुई। जिसमें कालेज के लिए कई नई चीजें निकल कर आई।

प्रस्ताव को बढ़ाएंगी आगे

डॉ.आरती लालचंदानी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री से जीएसवीएम को इंस्टीटयूट का दर्जा दिलाने को लेकर प्रस्ताव दिया था। जिस पर उन्होंने कहा कि इसकी जगह इसे इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंर्पोटेंस का स्टेटस दिलाने पर काम किया जाए। इसकी पहले राज्य सरकार की ओर से होनी है। जिस पर केंद्र फैसला करेगा। डॉ.चंदानी ने बताया कि वह दो दिन बाद लखनऊ में मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव से मुलाकात करेंगी और इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगी।

इमरजेंसी मेडिसिन में पीजी

जीएसवीएम मेडिकल कालेज में पीजी में एक नया कोर्स शुरू करने को लेकर भी बात बनी है। इमरजेंसी मेडिसिन में एमडी की 12 सीटें जीएसवीएम को मिलेंगी। इसके लिए एमसीआई से मान्यता लेने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इस कोर्स के शुरू होने से ट्रॉमा, इमरजेंसी और आईसीयू के लिए ज्यादा स्किल्ड डॉक्टर्स तैयार होंगे। इस कोर्स का असर मेडिकल कालेज की इमरजेंसी और आइर्1सीयू पर भी दिखेगा।

ये प्रोजेक्ट ला रहे बदलाव-

- 100 बेडेड नई मेटरनिटी विंग की शुरुआत

- नई बर्न यूनिट का निर्माण

- डिजास्टर मैनेजमेंट स्किल ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण

- कार्डियोलॉजी एक्सपेंशन

- इमरजेंसी अपग्रेडेशन

- ओटी मार्डनाइजेशन

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कानपुर के लिए जीएसवीएम क्यों जरूरी-

- दो इंस्टीटयूट्स समेत 7 हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज में संचालित, जिसमें से एक को इंस्टीटयूट ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा

- सालाना 12 लाख से ज्यादा की ओपीडी इन सभी अस्पतालों में

- 60 हजार से ज्यादा पेशेंट्स हर साल भर्ती होते हैं इन अस्पतालों में

- अर्फोडेबल हेल्थकेयर की सुविधा देने वाला सबसे बड़ा संस्थान

- 15 शहरों के हॉस्पिटल्स के लिए सबसे बड़ा रेफरल सेंटर है ये

- कार्डियक डिसीज के ट्रीटमेंट का प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी संस्थान मेडिकल कॉलेज से संबद्ध

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सुपरस्पेशिएलटी ट्रीटमेंट का चेहरा बनेंगे जीएसवीएम के ये संस्थान

- एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी

- जेके कैंसर इंस्टीटयूट

- मल्टीसुपरस्पेशिएलिटी कॉम्प्लेक्स

- न्यूरो साइंस सेंटर

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पेशेंट्स के लिए ये फायदे-

- सुपरस्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट के लिए दिल्ली, लखनऊ की दौड़ खत्म होगी

- एक ही संस्थान में हर तरह के क्रिटिकल ट्रीटमेंट की मिलेगी सुविधा

- प्राइवेट सेक्टर के मुकाबले सुपरस्पेशिएलिटी ट्रीटमेंट के खर्चे में कमी

- पेशेंट्स को मिलेंगी ट्रीटमेंट की ज्यादा मार्डन और बेहतर सुविधाएं

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वर्जन-

मेडिकल कॉलेज को इंस्टीटयूट का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत हुई है। इसके साथ ही इमरजेंसी में पीजी कोर्स के लिए भी सहमति बनी है। इन दोनों ही चीजों पर अब ज्यादा तेजी से काम होगा।

- डॉ.आरती लालचंदानी, प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज