- फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2019 के मुताबिक कानपुर में 5 साल में 3 करोड़ से अधिक पौधे लगे

KANPUR: हर साल शहर में लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन आज तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सका है। पिछले 5 सालों में 3 करोड़ से ज्यादा पौधे विभागों द्वारा लगाए जा चुके हैं। वहीं फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2019 के मुताबिक कानपुर में 2.09 परसेंट ग्रीन कवर है, जो 2017 के मुकाबले 0.1 परसेंट भी नहीं बढ़ा। ये आंकड़े इसलिए भी चौंकाने वाले हैं कि जब हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं तो ग्रीन कवर क्यों नहीं बढ़ रहा। इस बार भी कानपुर को 35 लाख से ज्यादा पौधे लगाने का टारगेट मिला है।

सर्वाइव कर गए वो बच गए

कोरोना से पहले 2019 में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने 10.21, औद्योगिक विकास ने 6200, नगर निगम ने 1,31,040, पीडब्ल्यूडी ने 24,714, सिंचाई विभाग ने 28,600 समेत अन्य डिपार्टमेंट ने अपने-अपने स्थानों को चिन्हित कर पौधे लगाए थे। लेकिन हकीकत ये है कि ज्यादातर पौधे बिना देखरेख के सूख गए। किदवई नगर, शास्त्री चौक से सचान चौराहे, डबल पुलिया से कल्याणपुर रोड तक बनी ग्रीन बेल्ट पर रोपे गए पौधे बर्बाद हो गए। ज्यादातर ग्रीन बेल्ट में गंदगी का अंबार लगा है।

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इंडस्ट्रियल एरिया रेड जोन में

अभी 2021 की रिपोर्ट नहीं आई। 2019 की फॉरेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर में 2.09 परसेंट क्षेत्र में ही ग्रीनरी है। जबकि मानक 33 परसेंट है। वहीं कानपुर की इंडस्ट्रीज में भी पौधे न के बराबर हैं। इसी की वजह से यहां की इंडस्ट्री रेड कैटेगिरी में है। इंडस्ट्रियल एरिया में रोड किनारे भी पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। पनकी और दादानगर में कानपुर के टोटल ग्रीन कवर का 5 परसेंट से भी कम में ग्रीनरी एरिया है। जबकि जाजमऊ, पनकी रेड कैटेगिरी में है।

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ये हैं ग्रीनहाउस गैसेज

-कार्बन डाई ऑक्साइड

-मीथेन

-नाइट्रस ऑक्साइड

-ओजोन

-क्लोराफ्लोराकार्बन

-हाईड्रोफ्लोकार्बन

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इन पौधों के लगने से पॉल्यूशन होगा कम

1. पर्टिकुलेट मैटर

पेड़- केसिया, सेमिया, सिरस, चितवन, अमलताल, कदब, नीम, शीशम, महुआ, फाइकस

झाड़ी- कढ़ी पत्ता, ढाक, क्रोटन, टेकोमा, केसिया, ग्लूका

घास- बीयर्ड, घास, ब्लू स्टेम, बफैलो घास, अंबन, बर्डवुड घास।

2. सल्फर डाई ऑक्साइड

पेड़- महुआ, इमली, चितवन, सिरस, सेमल, बांस

झाड़ी- आंवला, ढाक, लैटाना।

घास-बीयर्ड, ब्लूस्टेम, अंजन, बर्डवुड

3. नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड

पेड़- चिलबिल, आम, सिरस, महुआ, जामुन, नीम, शीशम

झाड़ी-बीयर्ड, ब्लूस्टेम

घास-बफैलो घास, अंजन, बर्डवुड घास, गुरिया घास।

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वन विभाग ने इन पौधों को लगाया

सड़क किनारे:

छितवन, अशोक, कदम, कछनार, जामुन आदि।

डिवाइडर:

गुलमोहर, आंवला, अमृताश, देशी अशोक आदि।

पार्क:

नीम, अशोक, नीम, पीपल, बरगद आदि.हरियाली आंकड़ों के आइने से

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पेड़ लगाने के लिए नहीं है जमीन

वन विभाग के अधिकारियों की माने तो उन्हें हर साल पांच लाख से अधिक पौधे लगाने का टारगेट दिया जाता है। लेकिन शहर में जमीन की उपलब्धता नहीं होने से उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में पौधे रोपकर टारगेट पूरा करना पड़ रहा है। साल 2017 में भी उन्हें महज 422 हेक्टेअर जमीन पर ही पौधे लगाने की जगह मिली है, जो बिधनू के पीपर गांव में है।