सोमवार को प्रधानमंत्री पॉपेंद्रू ने संसद से कटौती प्रस्तावों का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि 28 अरब यूरो की कटौती की
उनकी योजना ही ग्रीस को वापस उसके पैरों पर खड़ा कर सकती है।
यदि सरकार को इसमें सफलता नहीं मिलती है तो यूरोपीय संघ (ईयू) और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ़) 12 अरब यूरो का
कर्ज़ रोक सकते हैं और इससे होगा ये कि कुछ ही हफ़्तों में ग्रीस के ख़ज़ाने में पैसा ख़त्म हो जाएगा।
उधर फ़्रांसिसी राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी ने कहा है कि जब ग्रीस को कर्ज़ चुकाना होगा तो फ़्रांसिसी बैंक ग्रीस को 30 साल का एक
नया कर्ज़ दे सकते हैं। उनका कहना है कि अन्य यूरोपीय देश भी कर्ज़ की रकम अदा न कर पाने की स्थिति में इसी मॉडल को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि ब्रिटेन ने इस बात से इनकार किया है कि वह बैंक को ऐसा कुछ करने के लिए कहेगा।
हड़ताल
माना जा रहा है कि हज़ारों ग्रीसवासी मंगलवार को सड़कों पर निकलेंगे और संसद की ओर मार्च करेंगे। इसके लिए एथेंस में पाँच हज़ार पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है।
इस हड़ताल से जनजीवन पर व्यापक असर पड़ने के आसार दिख रहे हैं क्योंकि इसमें डॉक्टर, एंबुलेंस के ड्राइवर, पत्रकार और यहाँ तक कि सरकारी सहायता प्राप्त कर रहे कलाकारों ने भी इस हड़ताल में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया है।
अपनी मुद्रा बदलने के बाद ग्रीस ने कर्ज़ लेना शुरु किया और ओलंपिक सहित कई परियोजनाओं में बजट से बहुत अधिक पैसे खर्च कर
लिए। बाद में वह मंदी की चपेट में आ गया।
इसके बाद सरकार ने सरकारी उपक्रमों में वेतन और पेंशन में कटौती, सरकारी सुविधाओं में कटौती और टैक्स बढ़ाने जैसी कई घोषणाएँ
की हैं। सरकार के इस घोषणा के ख़िलाफ़ इससे पहले भी ग्रीस में कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं।
सरकार ने यूरोपीय संघ और मुद्राकोष से 110 अरब यूरो का एक पैकेज पहले ही ले लिया है और अब वह एक और पैकेज की कोशिशों
में लगी हुई है। लेकिन इसके लिए उसे संसद में कटौती के अपने प्रस्ताव को पारित करवाना होगा।
ग्रीस की इस समस्या की वजह से निवेशक भी वहाँ पैसा डालने से कतरा रहे हैं। दूसरी ओर पुर्तगाल और आइरिश रिपब्लिक जैसे देश घबरा रहे हैं कि यदि ग्रीस अपना कर्ज़ नहीं चुका पाता है तो उन्हें पैसा मिलने में दिक़्क़त हो सकती है।
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