सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि वह संसदीय प्रक्रियाओं का इंतजार करने को तैयार हैं, लेकिन अगर संसद में सख़्त लोकपाल विधेयक पेश नहीं किया गया तो उनके पास 16 अगस्त से आमरण अनशन करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा। इस पत्र के ज़रिए अन्ना ने सरकार को ये बताने की कोशिश की है कि 16 अगस्त से आमरण अनशन करने के अपने फ़ैसले पर वो क़ायम हैं।
सोमवार को इस पत्र की प्रति जारी करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए अन्ना हज़ारे ने कहा कि वो और उनके साथी 21 से 24 जूलाई के बीच केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के संसदीय क्षेत्र दिल्ली के चांदनी चौक में लोकपाल के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराएंगें।
उनके साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह पत्र इसलिए लिखा गया ताकि सरकार को उनके प्रस्तावित आंदोलन के बारे में औपचारिक रूप से सूचित कर दिया जाए।
हजारे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से कहा, '' ऐसा सुनने में आया है कि आपकी सरकार अगस्त के पहले सप्ताह में संसद में लोकपाल विधेयक पेश करेगी। हमारी विनती है कि संसद में जनलोकपाल विधेयक ही पेश किया जाए क्योंकि केंद्र के मंत्रियों के मसौदे में ढेरों कमियां हैं। अगर सभी कमियों को दूर कर सख़्त लोकपाल विधेयक संसद में पेश नहीं किया गया तो मेरे पास 16 अगस्त से फिर अनिश्चितकालीन अनशन करने के अलावा कोई और चारा नहीं रह जाएगा.''
'बयान दुर्भाग्यपूर्ण'
अन्ना के प्रस्तावित अनशन को रामदेव के आंदोलन की तरह कुचल दिए जाने संबंधी बयानों के बारे में उन्होंने कहा, ''ऐसे बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इस तरह की धमकियां हमारे मौलिक अधिकारों का हनन हैं.फिर भी यदि आपकी सरकार हमारे आंदोलन को कुचलती है तो हम हर स्थिति का सामना करने को तैयार हैं। हम गिरफ्तारियां देने, लाठियां खाने को तैयार हैं। हमारा पूरा आंदोलन अहिंसात्मक होगा.''
हजारे ने कहा कि संयुक्त समिति में सरकार के पांच मंत्रियों ने जो मसौदा तैयार किया है, वह देश के साथ एक मज़ाक है। अन्ना ने कहा कि वह 16 अगस्त का आंदोलन अप्रैल में हुए उनके आंदोलन से भी बड़ा होने की संभावना से इनकार नहीं करते।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार उन्हें पहले के भी मुकाबले अधिक जनसमर्थन मिलेगा। हजारे ने कहा कि अगर जनता जाग गई तो सरकार को मांगें माननी पड़ेंगी।
International News inextlive from World News Desk