मार्च 2013 तक किए जाने वाले इन बदलावों का मकसद होगा उपभोक्ताओं की गोपनीय जानकारी को सुरक्षा प्रदान करना। दरअसल हाल ही में, गूगल ने गोपनीयता पर अपनी 60 अलग-अलग नीतियों की जगह एक नीति बनाने का फैसला किया था।
इसके तहत गूगल की वीडियो वेबसाइट 'यूट्यूब', सोशल नेटवर्क 'गूगल प्लस' और स्मार्टफोन सिस्टम 'ऐन्ड्रॉएड' से उपभोक्ताओं की जानकारी एक जगह पर उपलब्ध हो गई थी, जिससे विज्ञापनों के लिए उसके इस्तेमाल के आरोप लग रहे थे।
हालांकि गूगल ये दावा करता रहा है कि उनके द्वारा किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी किसी और को नहीं दी जाती है। अब गूगल का कहना है कि, ''हम इस रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं, इसका जवाब देने में अभी वक्त लगेगा."
लेकिन यूरोपीय यूनियन का आरोप है कि गूगल अपने उपभोक्ताओं को उनसे जुड़ी जानकारी जुटाने के तरीके और इस्तेमाल के बारे में पूरे तरीके से नहीं बता रहा है।
'गूगल' पर पैनी नज़र
फ्रांस के गोपनीय जानकारी नियामक, 'सीएनआईएल' ने गूगल को साफ किया है कि, "वो अपने उपभोक्ताओं को ये बताएं कि कौनसा आंकड़ा कहां से लिया गया है और किस उद्देश्य के लिए."
इतना ही नहीं गूगल को अब अपने उपभोक्ताओं के लिए खुले व्यवहार की नीति अपनानी होगी ताकि उपभोक्ता अपनी निजी जानकारी को लेकर सुरक्षित महसूस कर सके। अगर किन्ही परिस्थियों में गूगल इन नियमावलियों की अनदेखी करता है तो 'सीएनआईएल' गूगल पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
गूगल के अंतरराष्ट्रीय गोपनीयता वकील पीटर फ्लीशर का कहना है कि, "हमारी नई नीति हमारे उपभोक्ताओं को और अधिक सुरक्षा प्रदान करेगी और हमें यकीन है कि हमारी नीति यूरोपीय यूनियन के कानून का आदर करती है."
'सीएनआईएल' यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्यों की तरफ से गूगल के खिलाफ ये जांच कर रहा है। जांच एजंसियां गूगल की गोपनीयता नीति को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।
ब्रिटेन में गोपनियता पर अभियान चला रहे संगठन, 'बिग ब्रदर' के निदेशक, निक पिकल्स ने यूरोपीय यूनियन के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि, "जब गूगल इस्तेमाल करने वाले लोगों को ये पता होगा कि उनसे जुड़ी जानकारी कहां और कैसे इस्तेमाल हो रही है, तब वो सही फैसले ले पाएंगे."
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