कानपुर (ब्यूरो) बीते डेढ़ माह में गुड्स ट्रेन के डिरेल होने की आधा दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं। जो पैसेंजर ट्रेन की अपेक्षा काफी धीमी गति से चलती है। इसके बावजूद ही गुड्स ट्रेन डिरेल हो रही हंै। इन घटनाओं ने गुड्स ट्रेन के कोचों के मेंटीनेंस पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सोर्सेस की माने तो गुड््स कोच के व्हीकल्स का लेवल समय पर चेक नहीं किया जाता है। साथ ही कोच के अन्य मेंटीनेंस में भी लापरवाही बरती जाती है। यही कारण है कि पैसेंजर की अपेक्षा गुड्स ट्रेन के डिरेल होने की घटनाएं अधिक होती हैं।
डेढ़ माह में आधा दर्जन दुर्घटनाएं
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक बीते दिनों टूंडला के पास डीएफसी ट्रैक में गुड्स ट्रेन के अधिक कोच डिरेल हो गए थे। उसके एक सप्ताह बाद ही अंबियापुर में 16 अक्टूबर को गुड्स ट्रेन डिरेल हुई। एक माह पूर्व जूही यार्ड में गुड्स ट्रेन डिरेल हुई। मंडे की देर रात पाता स्टेशन के पास गुड्स ट्रेन डिरेल होने की घटना हुई। वहीं ट्यूजडे की देर रात एक बार फिर से पं.दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन के पास गुड्स ट्रेन ही डिरेल हुई।
घटना से ये ट्रेनें की गई डायवर्ट
प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित मालवीय ने बताया कि पं.दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन के पास हुए हादसे की वजह से कई ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है। उन्होने बताया कि मगध एक्सप्रेस, पुरुषोत्तम एक्सप्रेस, दिल्ली-कामाख्या, दिल्ली-गोंडा, अहमदाबाद-बरौनी, पटना एक्सप्रेस, नई दिल्ली-पटना पूजा स्पेशल को वाया प्रयागराज, वाराणसी होकर पं.दीनदयाल स्टेशन डायवर्ट किया गया था।