कानपुर(ब्यूरो)। 50 वर्षों में मेडिकल फील्ड ने बहुत तरक्की कर ली है। लगातार हो रही रिसर्च और टेक्नोलॉजी ने काम काफी आसान कर दिया है। बीमारी के जल्द डाएग्नोस होने से पेशेंट कीजान को खतरा कम हुआ है। जिन रोगों के इलाज के लिए हमे विदेश जाना होता था अब उनका ट्रीटमेंट भारत में ही संभव हो गया है। यह बात डॉ। वीके मल्होत्रा ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज 1970 बैच के 50 साल पूरे होने पर कैम्पस में आयोजित गोल्डन जुबली प्रोग्राम में कहीं।
कोरोना के कारण हुई देरी
गोल्डन जुबली प्रोग्राम में देश विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे करीब 60 सीनियर डाक्टर्स ने पार्टिसिपेट किया। प्रोग्राम के ऑर्गनाइजर डॉ। गोपाल सिंह धानिक और प्रोग्राम के चेयरमैन एलडी मिश्रा ने बताया कि साल 2020 में 1970 बैच को 50 वर्ष पूर्ण हो गए थे। लेकिन कोरोना काल के चलते यह प्रोग्राम नहीं हो सका था। इसलिए प्रोग्राम को अब आयोजित किया जा रहा है।
बैच के सभी डाक्टर्स
प्रोग्राम में 1970 बैच के सभी डॉक्टर्स मौजूद रहे। चीफ गेस्ट सर्जरी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ। वीके मल्होत्रा, स्पेशल गेस्ट पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के पूर्व हेड प्रोफेसर एसएन सिंह व सेलेक्टेड गेस्ट के रूप में सरस्वती मेडिकल कालेज उन्नाव के डायरेक्टर मौजूद रहे। मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने सभी के साथ दीप जलाकर प्रोग्राम की शुरुआत की।
दिवंगत डॉक्टर्स की पत्नी सम्मानित
1970 के बैच के डॉ। लक्ष्मी कांत अवस्थी, डॉ। एसएस अग्निहोत्री और डॉ। जेके सिंह कोरोना काल में सेवा करते हुए प्राण त्याग दिए। सम्मान समारोह में तीनों डॉक्टर्स की पत्नियों का सम्मानित किया गया। मेडिकल कालेज प्राचार्य डा। संजय काला ने कहा कि इस प्रोग्राम का होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।