कानपुर (ब्यूरो)। ट्रेन चलाना हो या प्लेन, सरहद की सुरक्षा करनी हो फायर फाइटिंग। हर क्षेत्र में महिलाएं खुद को साबित कर रही हैं। जिन क्षेत्रों में कभी सिर्फ पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था वहां भी महिलाओं ने अपने झंडे गाड़ दिए हैं। और इसकी सबसे बड़ी वजह है गल्र्स का अपनी एजूकेशन के प्रति सीरियस होना। शहर की तीन यूनिवर्सिटी के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। सीएसजेएमयू, सीएसए और एचबीटीयू में साल 2023 के रिजल्ट में स्कॉलर बनने में गल्र्स का दबदबा रहा है।
तीनों यूनिवर्सिटी के कान्वोकेशन में बांटे गए टोटल 164 मेडल्स में से 92 मेडल्स गल्र्स ने पाए हैैं। इसके अलावा 72 मेडल्स को ब्वायज ने पाया है। ऐसे में मेडल पाने में गल्र्स ने ब्वायज को काफी पीछे कर दिया है। ऐसे में स्पष्ट हो गया है कि पढ़ाई को लेकर ब्वायज से ज्यादा गल्र्स सीरियस रहती हैैं। इतना ही नहीं सीएसजेएमयू में टोटल डिग्री पाने में भी गल्र्स कुछ परसेंट से आगे रही हैं।
सीएसए में डिग्री कम, मेडल ज्यादा
टेक्निकल और एकेडमिक यूनिवर्सिटी के साथ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी यानि सीएसए में भी गल्र्स ने ब्वॉयज को पछाड़ दिया है। यहां पर टोटल 589 डिग्री में महज 23.43 परसेंट यानि 138 डिग्री ही गल्र्स को मिली लेकिन टोटल मेडल्स की बात करें तो 62 में 56.45 परसेंट यानि 35 मेडल्स को गल्र्स ने अपने नाम किया है। डिग्री कम लेने के बाद भी मेडल्स के मैक्सिमम नंबर्स को अपनी ओर करके गल्र्स ने अपने टैलेंट को साबित कर दिया है।
सीएसजेएमयू में 74.55 परसेंट मेडल्स गल्र्स को मिले
सीएसजेएम यूनिवर्सिटी की बात करें तो साल 2023 में टोटल 55 कैंडीडेट्स को मेडल बांटे गए हैैं। इन टोटल कैंडीडेट्स में 74.55 परसेंट यानी 41 मेडल्स को गल्र्स ने पाए हैैं। केवल 25.45 परसेंट यानी 14 मेडल्स को ब्वायज ने अपने नाम किया है। इसके अलावा टोटल 209171 डिग्री में 51.26 परसेंट यानी 107224 डिग्री गल्र्स ने पाई हैं।
एचबीटीयू में ब्वायज रहे आगे
प्रदेश की टेक्निकल यूनिवर्सिटीज में अपना एक विशेष स्थान रखने वाली एचबीटीयू में मेडल्स पाने में ब्वायज आगे रहे हैैं। यहां टोटल 47 मेडल्स में 31 को ब्वायज और 16 गल्र्स स्टूडेेंट हैैं। ऐसे में टेक्निकल एजुकेशन में ब्वायज ने अपना टैलेंट दिखाया है।
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डॉक्टरेट करने में पीछे
सिटी में मेडल की रेस में तो गल्र्स ने बाजी मार ली है लेकिन डॉक्टरेट करने में वह पिछड़ गई हैैं। जहां एक ओर 164 में 92 मेडल्स को अपने नाम किया हैै। वहीं सीएसए और सीएसजेएमयू में अवार्ड हुई टोटल 61 पीएचडी डिग्री में केवल 17 गल्र्स हैैं। यहां 44 पीएचडी डिग्री को गल्र्स ने अपने नाम किया है। रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ। टीके मणि ने बताया कि फैमिली के मैरिज प्रेशर की वजह से गल्र्स पीएचडी तक नहीं पहुंच पाती हैैं। इसके अलावा अधिकतर गल्र्स रिसर्च के लंबे समय तक खींचने की वजह से पीएचडी से पीछे रहती हैैं।
सेल्फ रिस्पेक्ट के लिए जीती हैैं गल्र्स
साइकोलॉजिस्ट संध्या शुक्ला बताती हैैं कि पढ़ाई करने वाली गल्र्स में ब्वायज की अपेक्षा सेल्फ रिस्पेक्ट ज्यादा होती है। पढ़ाकू गल्र्स कोशिश करती हैैं कि वह क्लास में टॉप करें। मेडल में गल्र्स की संख्या ज्यादा होने का यही एक कारण है। जबकि सीरियस ब्वायज अपने करियर को सैटल करने के लिए ज्यादा चिंतित देखे जाते हैैं। वह अच्छी जॉब और हैैंडसम अमाउंट वाले पैकैज पर फोकस करते हैैं।