- एटीएस ने सेंट्रल सिक्योरिटी एजेंसीज को दिया यूपी सेफ का भरोसा
- फंडिंग ठीकठाक मिलने पर कानपुर को कमांडिंग सेंटर बनाया गया
KANPUR : एटीएस लगातार इस मामले में प्रोगे्रस कर रही है। सेंट्रल सिक्योरिटी एजेंसीज को एटीएस ने जो मेल भेजी है। उसमें जिम्मेदार अधिकारियों को यूपी सेफ का भरोसा दिलाया है। साथ ही ये भी लिखा है कि ऑपरेशन 40 परसेंट कंपलीट बट ऑल इज सेफ। यानी यूपी से आतंक फैलाने वाले एटीएस के रडार पर हैं। एटीएस और एनआईए ने माड्यूल बर्स्ट होने की जानकारी भी सेंट्रल सिक्योरिटी एजेंसीज को दे दी गई है।
दुश्मनों से मिला था मिनहाज
एटीएस की इनवेस्टिगेशन के दौरान पर्चे काटे गए। एटीएस सूत्रों ने जो मिनहाज का इतिहास तैयार किया है। उसके मुताबिक मिनहाज का करीबी यानी परिवार का एक व्यक्ति 2013 में बिजनौर के जाटान मोहल्ले में हुए धमाके में शामिल था। हालांकि इस धमाके में कुछ लोग मिनहाज के पिता के शामिल होने की बात बताते हैं, लेकिन एटीएस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। 10 साल पहले यानी 2010 में जालंधर में एक्यूआईएस ने ट्रेन में धमाका किया था। इसी दौरान गजावत-उल- हिंद की नींव रखी गई। 2010 में मिनहाज पाकिस्तान से लौैटा था। दिल्ली में उसकी मुलाकात उमर हलमंडी से कराई गई। एक्यूआईएस के सब कांटिनेंट के कमाण्डर इन चीफ उमर हलमंडी ने दिल्ली में मीटिंग कर मिनहाज को लखनऊ भेज दिया।
2011 से गजावत-उल- हिंद का मूवमेंट
एटीएस के कटे पर्चों के मुताबिक 2011 से गजावत-उल- हिंद का मूवमेंट शुरू हुआ। विशेष समुदाय से जुड़े हुए उन लोगों की तलाश शुरू की गई, जो समाज के सताए हुए थे। उन्हें संगठन का स्लीपर सेल बनाया गया। मेरठ और बिजनौर से शुरू हुए इस संगठन को यूपी की राजधानी लखनऊ तक पहुंचा दिया गया। चूंकि कानपुर से आस पास के जिलों तक पहुंचना आसान था और कानपुर से संगठन के लिए फंडिंग भी ठीक मिल सकती थी, लिहाजा कानपुर को कमांडिंग सेंटर बनाया गया। एटीएस ने अपने पर्चो में ये भी जिक्र किया है कि शहर के रूरल एरियाज में मिनजाह जमात लगाता था, जिसमें आस पास के कई लोग शामिल होते थे। आने वाले लोगों में किसी को खुद मौलाना, तो किसी को हाजी बताता था और धर्म के प्रचारक के नाम पर लोगों को इकट्ठा किया जाता था।
धार्मिक स्थलों के निर्माण के नाम पर फंड
वाट्सएप डिटेल से एटीएस को जानकारी मिली है कि मिनहाज वाट्सएप से संदेश भेजकर जमात लगाने के लिए लोगों को इकट्ठा करता था। इसके बाद नए धार्मिक स्थल बनाने के लिए न सिर्फ फंड की मांग करता था बल्कि उस धनराशि की रसीद भी फंड देने वालों को देता था। एटीएस सूत्रों के मुताबिक अगर प्रयागराज में जमात बुलाई जाती थी तो अलीगढ़ में धार्मिक स्थल बनाने के लिए फंड का इंतजाम करने के लिए कहा जाता था।