जर्मन संसद की कृषि समिति जानवरों के साथ सेक्स करने वाले लोगों के खिलाफ कानून में ऐसे संशोधनों पर विचार कर रही है जिसके तहत उन पर 25,000 यूरो से ज्यादा जुर्माना लगाए जाने का प्रवाधान है। इस मुद्दे पर अंतिम मतदान 14 दिसंबर को जर्मन संसद के निचले सदन में होना है।
जर्मनी में पशु मैथुन को वर्ष 1969 में वैध करार दिया गया था, लेकिन सिर्फ़ उन मामलों में जहाँ पशु के साथ दर्दनाक व्यवहार नहीं किया जाता था। ये कानून लंबे समय से जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वालों के निशाने पर था।
जर्मन संसदीय समिति के निदेशक हांस माइकल गोल्डमान ने एक स्थानीय समाचार पत्र को बताया कि नए कानून का मकसद ये स्पष्ट करना है कि किस तरह के चाल- चलन की अनुमति नहीं है।
उन्होंने कहा, "पशु मैथुन पर प्रतिबंध के निर्देश के बाद इस काम को करने वाले लोगों को सज़ा दिलाना आसान हो जाएगा और इससे जानवरों का कल्याण होगा." प्रस्तावित विधेयक में उन लोगों पर कड़े जुर्माने का प्रावधान है जो प्राकृतिक नियमों के खिलाफ ऐसा कर रहे हैं।
विरोध के सुर
हालांकि कुछ जर्मन लोग कानून में इस प्रस्तावित बदलाव का विरोध कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के एक समूह ‘टॉलरेंस एंड इंगेजमेंट ज़ूफिलो’ यानि ज़ीटा का कहना है कि अगर इस प्रस्तावित विधेयक को मंजूरी मिल जाती है तो वो इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
ज़ीटा के निदेशक माइकल क्यॉक का कहना है, "पशु को नुक़सान पहुँचाए जाने के सबूत के बिना किसी को सज़ा देने की बात सोच के भी परे है." उनका मानना है कि जानवरों के पास भी अपनी पसंद और नापसंदगी जाहिर करने के तमाम तरीके होते है।
क्यॉक कहते है, "हम पशुओं को भागीदार के रूप में देखते हैं, न कि सिर्फ संतुष्टि हासिल करने के लिए एक साधन के रूप में। हम उन्हें कुछ करने के लिए मजबूर भी नहीं करते है। साथ ही महिलाओं की तुलना में पालतू जानवर को समझना आसान है."
जानवरों के साथ सेक्स हॉलैंड, फ्रांस और स्विट्जरलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित है। ब्रिटेन में इस अपराध के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान था, लेकिन 2003 में इसे घटाकर इसकी सजा दो साल तय कर दी गई।
लेकिन बेल्जियम, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देशों में जानवरों के साथ सेक्स को मंज़ूरी मिली हुई है।
स्वीडन में भी जर्मनी की तरह ही इससे जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए विचार विमर्श हो रहा है।
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