-सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर के कंप्लायंस में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जारी की गंगा की बॉयालॉजिकल वाटर क्वॉलिटी असेसमेंट रिपोर्ट
-चार साल बाद भी गंगा की हालत में कोई सुधार नहीं, स्थिति साल 2014-15 जैसी ही, कानपुर में गंगा से ज्यादा खतरा पांडु नदी पर
KANPUR: गंगा को निर्मल बनाना केंद्र सरकार के साथ खुद पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। केंद्र में नई सरकार बनने के बाद कानपुर में बीते चार साल में नमामि गंगे के तहत गंगा सफाई के लिए करोड़ों के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। अभी कुछ ही दिन पहले गंगा प्रदूषण के सबसे बड़े दाग सीसामऊ नाले की टैपिंग का काम पूरा हुआ है। इसके अलावा कई और नाले भी अब गंगा में सीधे गिरने की बजाय ट्रीटमेंट प्लांट में जा रहे हैं। ऐसे में गंगा में पानी की क्वॉलिटी में सुधार होना लाजिमी है, लेकिन इसी बीच सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट ने कानपुर में गंगा की स्थिति पर कई सवाल खड़े कर देती हैं। क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक, चार साल में गंगा के पानी की क्वॉलिटी में कोई सुधार नहीं हुआ है। स्थिति 2014-15 जैसी ही है। सीपीसीबी की रिपोर्ट में पांडु नदी की हालत भी बेहद चिंताजनक है। सीपीसीबी की ओर से 2017-18 की बायोलॉजिकल वाटर क्वालिटी असेसमेंट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कंप्लायंस के लिए जारी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर में गंगा के पानी की क्वालिटी सी कैटेगरी यानी मध्यम प्रदूषित बताई गई है। जबकि पांडु नदी के पानी की क्वालिटी को डी कैटेगरी यानी बेहद प्रदूषित की श्रेणी में रखा गया है।
पांडु नदी में हैवी पॉल्यूशन
सीपीसीबी की एसेसमेंट रिपोर्ट में कानपुर में पांडु नदी के दो जगहों पर मानसून के बाद पानी के सैंपल लिए गए। पहला सैंपल एनएच-25 ब्रिज के पास से और दूसरा सैंपल भौंती पनकी रेल ब्रिज के पास से। दोनों ही जगहों पर मिले सैंपलों में पांडू नदी के पानी में हैवी व सीवियर पॉल्यूशन मिला। इसे सीपीसीबी ने ई और डी कैटेगरी में रखा है। यही नदी फतेहपुर के पास गंगा नदी में मिल कर उसे और भी गंदा कर देती है।