राजधानी त्रिपोली में हज़ारों समर्थकों को लाऊड-स्पीकरों के ज़रिए गद्दाफ़ी के ऑडियो संदेश में कहा गया है - "ये लोग (लीबियाई) एक दिन इस जंग को यूरोप तक ले जाने में सक्षम हैं जहाँ आपके घरों, दफ़्तरों और परिवारों को निशाना बनाया जाएगा। जिस तरह से आपने हमारे घरों को निशाना बनाया है, उसी तरह वो (यूरोप में) सेना का वैध निशाना बन जाएँगे."

गद्दाफ़ी ने कहा, "यदि हम फ़ैसला करें तो हम यूरोप में टिड्डों, मक्खियों की तरह यूरोप में घुस सकते हैं। हमारी सलाह है कि इससे पहले कि तबाही आपके द्वार तक पहुँचे आप लौट जाएँ."

अमरीका में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा है कि गद्दाफ़ी की धमकी को गंभीरता से लेना चाहिए। गद्दाफ़ी के भाषण के कुछ ही घंटे बाद त्रिपोली में भीषण धमाकों की आवाज़े सुनाई दी है और माना जा रहा है कि नैटो के हवाई हमलों के कारण हुए हैं।

सुरक्षा परिषद प्रस्ताव और बमबारी

फ़रवरी में ट्यूनिशिया और मिस्र में सरकार विरोधी प्रदर्शनों और फिर सत्ता परिवर्तन के बाद लीबिया सहित क्षेत्र के कई देशों में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरु हो गए थे और लीबिया में इन्होंने जल्द ही सशस्त्र विद्रोह की शक्ल ले ली थी।

विद्रोही वर्ष 1969 से सत्ता में बने हुए कर्नल गद्दाफ़ी के इस्तीफ़े और व्यापक राजनीतिक सुधारों की मांग कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि मार्च में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया के आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए बल प्रयोग की अनुमति दी थी और लीबिया पर 'नो फ़्लाई ज़ोन' बनाने की इजाज़त दी थी।

उस समय चीन, रूस और तीन अस्थायी सदस्यों - भारत, जर्मनी और ब्राज़ील ने सुरक्षा परिषद में इस मतदान में भाग नहीं लिया था। लीबियाई विद्रोही हाल में नफ़ूसा के पहाड़ों की उत्तरी दिशा से राजधानी त्रिपोली की ओर बढ़ रहे हैं।

फ़्रांस की पुष्टि, गिरफ़्तारी वॉरंट

गद्दाफ़ी का ये संदेश फ़्रांस की उस पुष्टि के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि त्रिपोली के नज़दीक जंग लड़ रहे बरबर क़बायली विद्रोहियों को उसने हथियार सप्लाई किए थे।

फ़्रांस ने माना था कि उसने सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह कर रहे लड़ाकों की कई टन गोला-बारूद सप्लाई किया था।

उधर गुरुवार को रूस ने फ़्रांस की ओर से लीबियाई विद्रोहियों को हथियार देने की कड़ी आलोचना की थी और विदेश मंत्री सर्गेई लवरोफ़ ने कहा था कि यदि ये ख़बर सही है तो ये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1970 का उल्लंघन है।

बीबीसी के रक्षा और कूटनीतिक मामलों के संवाददाता जोनाथन मार्कस के मुताबिक, "फ़्रांस, ब्रिटेन और अमरीका में इस विचार के कई समर्थक हैं कि विद्रोहियों को हथियार देना अवैध नहीं है क्योंकि पिछले फ़ैसले के बाद सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1973 पारित हो चुका है."

गद्दाफ़ी का संदेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के कर्नल गद्दाफ़ी, उनके पुत्र सैफ़ अल इस्लाम और लीबियाई ख़ुफ़िया सेवा के प्रमुख अब्दुल्ला अल सानूसी के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी के वॉरंट जारी करने के कुछ ही दिन बाद आया है।

इन लोगों पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के आरोप लगाए गए हैं। त्रिपोली में बीबीसी के रुपर्ट विंगफ़ील्ड हेयज़ का कहना है कि शुक्रवार को राजधानी हुई रैली गद्दाफ़ी समर्थकों का हाल में सबसे बड़ा जमावड़ा था और पिछले कई हफ़्तों में पहली बार गद्दाफ़ी की आवाज़ सुनाई दी है।

 

 

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