लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन में ब्रितानी विदेश मंत्री विलियम हेग ने कहा कि हालाँकि ब्रिटेन तो यही चाहता है कि गद्दाफ़ी देश छोड़ दें मगर ये फ़ैसला लीबियाई लोगों के हाथों में है।
विलियम हेग का ये बयान जिस समय आया है वो सांकेतिक रूप से काफ़ी रोचक है क्योंकि लीबिया में चार महीने से जारी सैनिक संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक शांति समझौते तक पहुँचने के प्रयास तेज़ हो रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों में लीबियाई विपक्षी नेताओं ने भी ये संकेत दिए हैं कि अगर कर्नल गद्दाफ़ी सत्ता छोड़े दें तो वह और उनके परिजन लीबिया में रह सकते हैं। एक राजनीतिक सौदे के तहत उनसे सारी सत्ता छोड़कर कुछ शर्तों के साथ लीबिया में रहने को कहा जा रहा है।
विदेश मंत्री हेग ने इतने खुले तौर पर तो इस बारे में बात नहीं की मगर ये ज़रूर कहा कि ब्रिटेन तो यही चाहेगा कि गद्दाफ़ी देश छोड़ दें मगर अंत में ये लीबियाई लोगों पर निर्भर करेगा।
बेबाक फ़्रांस
वहीं फ़्रांसीसी विदेश मंत्री एलेन युपे ने ज़्यादा स्पष्ट तौर पर बातें रखीं और कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी को सैनिक और नागरिक हर तरह की सत्ता छोड़नी होगी और उसके बाद लीबियाई लोगों को ये फ़ैसला करना चाहिए कि वह देश में रहें या देश छोड़ दें।
ब्रिटेन और फ़्रांस का ये रुख़ लीबिया में शांति ला पाएगा या नहीं ये कहना अभी मुश्किल है। दूसरी ओर मध्यस्थता की कई समांतर कोशिशें जारी हैं जिनमें संयुक्त राष्ट्र के साथ ही अफ़्रीकी देश भी शामिल हैं।
साथ ही कर्नल गद्दाफ़ी समर्थक राजदूतों ने भी पिछले हफ़्ते अमरीकी अधिकारियों से सीधे बात की है।
सारी योजनाएँ अभी यहीं आकर रुक जाती हैं कि कर्नल गद्दाफ़ी कब और कैसे सत्ता छोड़ेंगे साथ ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ओर से जारी गिरफ़्तारी वॉरंट से बचने के लिए जगह मिलेगी या नहीं ये भी देखना होगा।
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