कानपुर(ब्यूरो)। योगी सरकार 2.0 में भू-माफियाओं के अवैध कब्जों पर बुलडोजर पूरी रफ्तार से दौड़ रहा है। दिल्ली से मध्य प्रदेश तक बुलडोजर खबरों में बना हुआ है। बुलडोजर को लेकर देश में सियायत भी गर्मा गई है। सरकार इसे कानूनी कार्रवाई तो विपक्षी दल बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। ऐसे में लोगों को यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर ये बुलडोजर कब और किन परिस्थतियों में चलता है। इसके पीछे क्या नियम कानून है। बुलडोजर चलाने से पहले क्या प्रक्रिया अपनानी होती है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आपको आज इन सभी सवालों के जवाब देगा।
शासन से सिग्नल मिलते ही
किसी भी नगर में अवैध निर्माण या अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। वैसे जिस विभाग की जमीन पर अवैध निर्माण होता है वह विभाग इसके लिए कार्रवाई करता है। हालांकि शासन जबतक कड़ी कार्रवाई के आदेश नहीं देता, तब तक विभाग भी भू-माफियाओं को अनदेखा करते रहते हैं। शासन से हरी झंडी मिलते ही विभाग कार्रवाई शुरू कर देते हैं।
धारा 27/28 व 26ए के तहत
अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी सकरारी जमीन पर कब्जे होने की सूचना के बाद उस व्यक्ति को धारा 27/28 व जमीनों के आधार पर 26ए के (एचआर) 1973 के तहत नोटिस भेजा जाता है। जिसमें 15 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया जाता है। कई मामलों में रिमाइंडर भी भेज दिया जाता है, इस बीच अगर कब्जे करने वालों का लिखित में जवाब नहीं आता है, तब विभाग हरकत में आता है और उस अवैध कब्जे पर बुलडोजर चलाकर जमीन खाली करवाई जाती है। हालांकि कई बार कब्जा करने वाला व्यक्ति कोर्ट की शरण में चला जाता है और स्टे ले आता है। ऐसे में कोर्ट से कोई फैसला होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाती है।
सरकारी जमीन पर तत्काल कार्रवाई
ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि भू-माफिया ग्राम समाज, सीलिंग, विकास प्राधिकरण या अन्य सरकारी विभाग की जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। लंबे समय तक जमीनों की देखरेख न होने के चलते यह जमीन विभागों की नजर में नहीं आ पाती है। कई बार कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से जमीनों को कब्जे करा दिए जाते हैं और उन्हें खाली नहीं करवाया जाता है। ऐसे में जब शासन, प्रशासन का डंडा चलता है तो विभाग भू-माफियाओं के कब्जे से जमीन खाली करवाना शुरू करते हैं। अधिकारी बताते हैं कि सरकारी जमीनों पर कब्जे को बिना नोटिस दिए भी तत्काल खाली करवाया जा सकता है। अगर एक व्यक्ति पर दूसरी बार कब्जा करता है तो उसके खिलाफ गुंडा एक्ट समेत विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है।
320 करोड़ की जमीन मुक्त
आंकड़े बताते हैं कि एक अप्रैल से अबतक अलग-अलग विभाग ने कानपुर में लगभग 28 हेक्टेयर सरकारी जमीन को खाली कराया है। जिसकी कीमत तकरीबन 320 करोड़ रुपए हैं। इन सरकारी जमीनों में सबसे बड़ी कार्रवाई केडीए ने की है। हालांकि अभी भी लगभग 19 हेक्टेयर जमीन को खाली कराया जाना बाकी है।
किस विभाग ने छुड़ाया कितना कब्जा
विभाग--कीमत ---जमीन हेक्टेयर
-राजस्व - 3.06--14.407
-केडीए--312.50-- 11.5346
-घाटमपुर नगर पालिका--1.56--1.666
- बिल्हौर-नगर पालिका--2.97---0.5400
(नोट- कीमत करोड़ में )
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&&सरकारी संपत्ति पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकता है। नियमानुसार विभाग अपने स्तर पर जमीनों को छुड़ाने के लिए बुलडोजर चला रहे हैं, साथ ही कार्रवाई पूरी होने के बाद भू-माफियाओं पर नकेल कसी जाएगी&य&य
दयानंद प्रसाद, एडीएम फाइनेंस
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बिकरू में भी चला था बुलडोजर
कानपुर में माफियाओं और अपराधियों पर बुलडोजर अब तक सिर्फ एक बार ही चला है। बिकरू गांव में जुलाई 2020 में हुए पुलिस हत्याकांड के बाद पुलिस ने दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का गांव में बना किला नुमा घर बुलडोजर से ढहा दिया था। इस कार्रवाई के पीछे पुलिस ने वजह बताई थी कि इस घर की दीवारों में असलहे छिपा कर रखे गए हैं। इसे पुलिस ने खुद ही पूरा तुड़वाया था। जिसके बाद अधिकारियों ने कुछ असलहों की बरामदगी भी दिखाई थी। इसके अलावा अभी तक कानपुर में भूमाफिया तो कई चिन्हित हुए। टॉप-10 क्रिमिनल्स की भी लिस्ट बनी, लेकिन उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर कभी नहीं चला।