हिंद अमास और केंज़ा ड्राइडर को गत मई में पूर्वी पेरिस में पुलिस ने पकड़ा था। यदि इन्हें सज़ा होती है तो वे उन 91 महिलाओं में से पहली होंगीं जिन्हें पुलिस ने नए क़ानून के तहत पकड़ा गया है और जिन्हें 150 यूरो का जुर्माना अदा करना पड़ेगा।
इस क़ानून का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यदि इन दोनों महिलाओं पर जुर्माना लगाया गया तो वे इसके ख़िलाफ़ यूरोप के मानवाधिकार अदालत में अपील करेंगे।
यूरोप की नज़र
इस फ़ैसले पर न केवल फ़्रांस बल्कि पूरे यूरोप की नज़र लगी हुई है। सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढँक कर घूमने पर जुर्माने का क़ानून फ़्रांस ने तो लागू कर दिया है। इसके बाद अब बेल्जियम, इटली, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स और स्विट्ज़लैंड इसी तरह का क़ानून लागू करने पर विचार कर रहे हैं।
तलाक़शुदा 32 वर्षीया हिंद अमास और तीन बच्चों की माँ केंज़ा ड्राइडर उन सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रतीक बन गई हैं जो नक़ाब या बुर्क़ा पहनने को अपनी व्यक्तिगत आज़ादी का हिस्सा मानती हैं।
हिंद अमास का परिवार कट्टर मुसलमान परिवार नहीं है लेकिन एक पढ़ी लिखी अकेली महिला की तरह उन्होंने छह साल पहले अपनी मर्ज़ी से नक़ाब पहनने का फ़ैसला किया।
उनका कहना है कि एक समय वे मिनी स्कर्ट पहना करती थीं और पार्टियों में जाया करती थीं लेकिन उन्हें बाद में अपनी आस्था का अहसास हुआ। कुछ मुस्लिम गुटों का कहना है कि अप्रैल में ये क़ानून लागू होने के बाद से कई महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया है।
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