कानपुर(ब्यूरो)। कर्नाटक के पोंजी घोटाले में ठगी के शिकार हुए जूता कारोबारी ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से धोखाधड़ी करने की एफआईआर काकादेव थाने में दर्ज कराई है। ठगों ने मामले की जांच कर रहे दरोगा से साठगांठ कर फर्जी दस्तावेज हाईकोर्ट में पेश करके जमानत लेने का प्रयास किया। मामले की जानकारी मिलने पर पीडि़त कारोबारी ने एक और एफआईआर दर्ज कराई।

तीन करोड़ की ठगी
एसीपी स्वरूप नगर बृजनारायण सिंह ने बताया कि कर्नाटक के पोंजी घोटाले में कानपुर काकादेव निवासी जूता कारोबारी शनि सिंह से तीन करोड़ की ठगी हुई थी। गिरोह ने रुपए दोगुना होने का झांसा देकर अपनी कंपनी में 3 करोड़ का इनवेस्टमेंट कराया और बाद में कंपनी भाग गई थी। मामले में कारोबारी ने काकादेव थाने में चार लोगों के खिलाफ ठगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। डीसीपी वेस्ट की टीम ने चार आरोपियों फरीद अहमद, सैय्यद अम्मार, सैय्यद खीजर और आफाक अहमद(सभी बंगलुरू निवासी) को गिरफ्तार करके जेल भेजा था।

पीडि़त के फर्जी हस्ताक्षर
अब सामने आया है कि मामले की जांच कर रहे दरोगा मणि भूषण शुक्ला ने प्रार्थी के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर हाईकोर्ट में फर्जी एमओयू पेश किया। विवेचक ने झूठा शपथपत्र कोर्ट में पेश किया कि आरोपियों का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। आरोपियों को बचाने के लिए अन्य फर्जीवाड़ा किया। मामले की जानकारी होने पर साक्ष्यों के साथ पीडि़त कारोबारी पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड के सामने पेश हुआ। कमिश्नर के आदेश पर काकादेव पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज का इस्तेमाल समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।

ये था पूरा मामला
कर्नाटक के पोंजी घोटाले में देश भर से 600 करोड़ से ज्यादा की ठगी निवेशकों से की गई थी। मामले में बंगलुरू पुलिस ने पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। आरोपियों ने एंबिडेंट मार्केटिंग प्राइवेट लि। नाम से कंपनी खोली थी। चंद महीने में रुपए दोगुना करने का झांसा देकर देश में हजारों लोगों से ठगी की थी। कानपुर के जूता कारोबारी से भी 3 करोड़ की ठगी की थी।