कानपुर (ब्यूरो) राघवेंद्र के दो बेटें बृजेंद्र और आशेंद्र सिंह हैं। राघवेंद्र ने बताया कि 2013 में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद में पढ़ाई के दौरान उनके बेटे आशेंद्र की मुलाकात अंतिम वर्ष के छात्र लखनऊ के पारा श्रीनाथ नगर निवासी मोहित श्रीवास्तव से हुई थी। इसके बाद से मोहित और उसके भाई रोहित का उनके घर आना जाना शुरू हो गया था। इसके बाद उनके बेटे ने घर पर मेडिकल स्टोर खोल लिया। 2021 में मोहित उनके घर आया और खुद को सिद्घार्थ नगर में स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने की बात कही। दोनों भाईयों को भी संविदा पर नौकरी लगवा सकता हूं। जिसके एवज में उन्हें 14 लाख रुपये और सारे डाक्यूमेंटस की कॉपी चाहिए।

न नौकरी मिली न रकम
झांसे में आने पर उन्होंने उसे 14 लाख रुपये दे दिए। तय समय बाद भी न तो नौकरी मिली और ना ही जालसाजों ने रुपये वापस लौटाए। दबाव बनाने पर उन्होंने दो चेकें दीं। वह भी बाउंस हो गए थे। इसके बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर से गुहार लगाई। थाना प्रभारी दीनानाथ मिश्रा ने बताया कि पीडि़त की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।