फ़ॉर्मूला वन रेसिंग में ग्लैमर, चमक-धमक, जश्न और रफ़्तार का जो तड़का है, ठीक वैसी ही झलक भारत की बॉलीवुड के प्रति रूचि और अंतरराष्ट्रीय खेलों में रुझान से दिखती है। बहरहाल। देर आए, दुरुस्त आए। 30 अक्तूबर को इंडियन ग्रां प्री दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में होने वाली है।

रेसिंग ट्रैक को बनाने वाली कंपनी जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल का कहना है कि इसे बनाने में चार करोड़ डॉलर का ख़र्च आया है और क़रीब पाँच हज़ार मज़दूरों ने इसे तैयार किया है। ये वही जगह है जहाँ दुनिया के शीर्ष 24 ड्राइवर अपनी रेसिंग के करतब दिखाएँगे।

ग्लैमर का तड़का

लेकिन इसी रेस से मिलने वाली है भारत को अंतरराष्ट्रीय जगत में शोहरत भी। कयास लग रहे हैं कि हॉलीवुड स्टार टॉम क्रूज़ जैसी नामचीन हस्तियाँ सिर्फ इसी रेस के लिए भारत पहुंचेंगी।

दुनिया भर में किसी भी फ़ॉर्मूला वन रेस के बाद होने वाली 'अम्बर पार्टियाँ' बेहद चर्चित रही हैं। अभी तक यह पार्टी सिर्फ़ मोनैको, आबू धाबी और सिंगापुर जैसे तीन फ़ॉर्मूला वन रेसिंग वाले शहरों में ही आयोजित हुई है।

अब बारी है भारत की! जहाँ इस पार्टी में माइक संभालेंगे अर्जुन रामपाल वहीँ पार्टी में मौजूद रहने की उम्मीद है क़रीब-क़रीब पूरे बॉलीवुड की।

शाहरुख़ ख़ान, इमरान ख़ान, सानिया मिर्ज़ा, अभिषेक बच्चन और न जाने कितने सितारों ने इस रेस को देखने और पार्टी में शरीक होने की मंशा ज़ाहिर की है।

भारत की अब तक की सबसे मशहूर महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा ने कहा था, "मैंने कभी भी ऐसी रेस नहीं देखी। मैं ख़ुशकिस्मत हूँ कि मुझे इसके लिए न्योता दिया गया है। ज़रूर पहुंचूंगी"।

मशहूर पॉप गायक लेडी गागा इस आयोजन के लिए ख़ास तौर पर आमंत्रित की गई हैं और वे शुभारंभ का गाना गाएंगी, जिसे देखने के लिए स्टेडियम में एक लाख लोग अपने दिल थाम कर बैठे होंगे।

भारत की साख

ज़ाहिर है, जब भारत में एक साथ इतने बड़े सितारे एक जगह पर मौजूद होंगे तो मीडिया भी होगी, जो इन ख़बरों-तस्वीरों को दुनिया भर के घरों तक पहुंचाएंगे। पर क्या वाकई भारत को फ़ॉर्मूला वन जैसे एक आयोजन की ज़रूरत थी?

जाने माने ऐड गुरु और निर्देशक प्रहलाद कक्कड़ कहते हैं, "राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विश्व भर में हुई बदनामी के बाद भारत को ऐसे एक आयोजन की सख्त ज़रुरत थी। पहली फ़ॉर्मूला वन रेस से भारत की छवि को बहुत फ़ायदा होने की उम्मीद है."

लेकिन भारत भी अब बदल रहा है। एक विकासशील देश होने के साथ साथ भारत में अब विदेशी निवेश की भरमार है और दुनिया की हर बड़ी कंपनी भारत में अपना स्थान जमाने की या तो फ़िराक में रहती है या फिर अपने दफ़्तर खोल चुकी है।

करोड़ों की लागत से होने वाली इस फ़ॉर्मूला वन रेस से भारत एक उभरते हुए देश की छाप दोबारा छोड़ने में कामयाब हो सकता है। ऐसा मानना है जाने माने छवि सुधारक दिलीप चेरियन का। दिलीप चेरियन बताते हैं, "यही फ़र्क है भारत और इंडिया में। अब दुनिया इंडिया की तरफ़ उम्मीद से देख रही है। एक ऐसा इंडिया जिसके बाज़ारों और अर्थव्यवस्था पर दुनिया भर की निगाह है."

कुछ ही देर और है। रेसिंग का एक अनोखा तमाशा भारत में होने को बेकरार है। अख़बारों और टेलीविज़न चैनलों पर रेसिंग ट्रैक की तस्वीरें जैसी पटी पड़ी हैं।

पर ख़ास बात यह है कि ऐसा मंज़र सिर्फ़ भारत में ही नहीं है। दुनिया भर की मीडिया में अगर इन दिनों भारत की चर्चा है तो वो है फ़ॉर्मूला वन रेसिंग के इस आयोजन की बदौलत।

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