- दुर्दात के मददगारों से बरामद तीनों फोन लखनऊ फोरेंसिक लैब भेजे गए

- असलहों की भी कराई जाएगी बैलिस्टिक जांच, आगरा टीम की लेंगे मदद

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KANPUR : दुर्दात विकास दुबे के मददगारों से एसटीएफ ने तीन मोबाइल फोन बरामद किए थे। इनमें एक एप्पल आई फोन का यूज विकास दुबे करता था। सभी मोबाइल फोन को फोरेंसिक स्क्रीनिंग के लिए लखनऊ फोरेंसिक लैब भेजा गया है। जिसकी रिपोर्ट आने पर कई और राज खुल सकते हैं। वहां पर यदि मोबाइल फोन की स्क्रीनिंग नहीं हो पाती है तो फोन सीबीआई की फोरेंसिक लैब में भेजा जाएगा। असलहों की भी बैलिस्टिक जांच भी कराई जाएगी। आगरा फोरेंसिक टीम की मदद ली जाएगी।

असलहा और कारतूस का जखीरा

एसटीएफ ने विकास दुबे के मददगारों को अरेस्ट करने के साथ ही सेमीऑटोमेटिक राइफल, कारबाइन समेत असलहों का जखीरा और कारतूस बरामद किए थे। डीआईजी डॉ। प्रीतिन्दर सिंह ने बताया कि आरोपियों से जो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। उन्हें फोरेंसिक स्क्रीनिंग के लिए लखनऊ फोरेंसिक लैब भेजा गया है। असलहों की बैलिस्टिक जांच के लिए आगरा की साइबर सेल की भी मदद ली जा सकती है।

मुख्य केस में शामिल हाेगी रिपोर्ट

मोबाइल फोन की फोरेंसिक रिपोर्ट और असलहों की बैलिस्टिक रिपोर्ट को बिकरू कांड के मुख्य केस में शामिल किया जाएगा। पकड़े गए आरोपियों को भी केस में शामिल किया जाएगा। डीआईजी ने बताया कि कुछ और असलहों की बरामदगी और कई आरोपियों की गिरफ्तारी शेष रह गई है। इसमें पुलिस की मदद एसटीएफ कर रही है। विवेचना पुलिस ही करेगी। वहीं केस को आगे बढ़ाएगी।

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कैसे जारी हुआ ऑटोमैटिक राइफल का लाइसेंस

पुलिस जांच करेगी कि आखिरकार सेमीऑटोमेटिक राइफल असलहा लाइसेंस पर बिना किसी जांच के दर्ज कैसे की गई। आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बताया कि ऑटोमेटिक राइफल का लाइसेंस आम लोगों को नहीं मिल सकता। तब भी राइफल को सिंगल शॉट में मॉडीफाई कराए बिना लाइसेंस पर कैसे चढ़ाया गया। जांच में कई अफसर राडार पर होंगे। शिव तिवारी के पास दो लाइसेंस थे। जिसमें एक एनपी बोर व दूसरा रिवाल्वर का था। 16 फरवरी 2004 को तत्कालीन एडीएम फाइनेंस ने इसे जारी किया था। वहीं 26 मई 2008 को तत्कालीन डीएम अनिल सागर ने रिवाल्वर के लाइसेंस की स्वीकृति की थी। बिकरू कांड के बाद डीएम ने रिवाल्वर और राइफल दोनों के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं।