- बाबूपुरवा हिंसा के दौरान पुलिस को मिले कारतूस के खाली खोखों की फॉरेसिंक रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
-30 बोर की गोलियों के भी 7 खाली खोखे हुए थे बरामद, पुलिस का दावा दंगाईयों के पास थी 9एमएम पिस्टल
KANPUR: बीते साल 20 दिसंबर को बाबूपुरवा में भड़की हिंसा के दौरान दंगाइयों की तरफ से पुलिस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा फायर किए गए। इसमें प्रतिबंधित गन 9एमएम पिस्टल से फायरिंग होने का भी दावा है। हिंसा के बाद बाबूपुरवा से मिले कारतूस के खाली खोखों को पुलिस ने जांच के लिए लखनऊ की फोरेंसिक लैब में भेजा था। फोरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि दंगाईयों की ओर से तमंचों के साथ प्रतिबंधित बोर की गन से भी फायरिंग की गई।
मालूम हो कि हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने शुरुआत में पुलिस की ओर से 9एमएम पिस्टल से 4 फायर किए जाने की बात कही गई थी। प्रतिबंधित बोर से गोलियां चलाए जाने से साफ है कि हिंसा सुनियोजित थी। आशंका यह भी है कि बड़ी संख्या में हिंसा में इस्तेमाल के लिए असलहों को पहले से जमा किया गया था। हांलाकि एसआईटी की जांच में अभी असलहों की कोई बड़ी बरामदगी नहीं हुई है।
तमंचों से बरसी गोलियां
फारेंसिक जांच को भेजे गए खाली खोखों की रिपोर्ट के मुताबिक 312 और 315 बोर की गोलियां तमंचों से ही फायर की गई थी। खोखे की फायरिंग पिन की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। फोरेसिंक एक्सपर्ट डॉ.पीके श्रीवास्तव के मुताबिक 312 और 315 बोर के ही कुल 48 खोखे मौके से मिले थे। इसके अलावा 30 बोर की गन से भी 7 फायर किए गए.मालूम हो कि इस बोर के कारतूस का इस्तेमाल पुलिस नहीं करती है। संभावना है कि 30 बोर की गोलियां हिंसा में शामिल लोगों ने लाइसेंसी हथियारों से चलाई हो।
फायरिंग पर बदलते रहे बयान
हिंसा के दौरान दंगाइयों की ओर से तो ताबड़तोड़ गोलियां चलाई ही गई,लेकिन पुलिस की ओर से कितनी गोलियां चलीं। यह आज तक स्पष्ट नहीं है। इसे लेकर पुलिस अधिकारियों के अलग अलग बयान रहे हैं। एसआईटी ने 16 राउंड फायर किए जाने की ही बात कही है। हांलाकि पुलिस की ओर से की गई फायरिंग के खोखों को फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा गया है।
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