फ़ोर्ड की भारत इकाई के प्रमुख, माइकल बोनहैम के मुताबिक इस फैक्टरी को लगाने में एक अरब डॉलर की लागत आएगी। गुजरात में लगाई जाने वाली इस फैक्टरी में सालाना करीब ढाई लाख कारों का निर्माण होगा।
फ़ोर्ड पिछले दस साल से भारत में कारें निर्माण कर रहा है। भारत में ये उसकी दूसरी फैक्टरी होगी। इससे पहले चेन्नई शहर में फ़ोर्ड की कारों की एक फैक्टरी है। माइकल बोनहैम ने कहा, “इस नई फैक्टरी से हमें अगले चार सालों में विश्व में अपनी कारों की बिक्री को डेढ़ गुना करने के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद मिलेगी.” पिछले छह महीनों में फ़ोर्ड ने बाज़ार में अपनी कारों के कई नए मॉडल्स उतारे हैं.
बोनहैम के मुताबिक फ़ोर्ड उन बाज़ारों में अपना निवेश बढ़ा रहा है जहाँ कारों की माँग बढ़ने की सबसे ज़्यादा उम्मीद है। भारत को विश्व के सबसे तेज़ी से बढ़ रहे कारों के बाज़ार के रूप में देखा जा रहा है।
वर्ष 2010 में भारत में कारों की बिक्री लगभग 30 फ़ीसदी बढ़ी। भारत के वित्तीय विकास के साथ महंगी कारों की मांग में ख़ास तौर पर इज़ाफा हुआ है।
बुधवार को विश्व में कारों की सबसे बड़ी कंपनी टोयोटा ने कहा कि वो भारत में अपनी निर्माण क्षमता को दोगुना करने के लिए वर्ष 2013 तक 22 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी।
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