-सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करते थे ठगी, मास्टरमाइंड सहित 5 अरेस्ट

- रेलवे समेत कई सरकारी विभागों के अप्वाइंटमेंट लेटर, आईटीआर कार्ड, आधार कार्ड, नकदी समेत अन्य कागजात बरामद

- छह साल से कर रहे थे ठगी, सैकड़ो लोगों को बनाया शिकार, कई प्रदेशों में वारदात को दे चुके हैं अंजाम, करोड़ों रुपए ठगे

kanpur : बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले कई गैंग एक्टिव हैं। शहर में एक ऐसे ही गिरोह के सरगना सहित 5 ठगों को जूही पुलिस ने वेडनेसडे को साउथ एक्स मॉल के पास से गिरफ्तार किया। गैंग रेलवे सहित अन्य विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर सैकड़ों युवकों से करोड़ों रुपए ठग चुका है। गैंग का काम करने का तरीक इतना हाईटेक और शातिराना था कि बड़े से बड़े अफसर भी धोखा खा जाते थे। गैंग फार्म भरवाने से लेकर डाक से ज्वाइनिंग लेटर घर पहुंचाने और फिर ट्रेनिंग देने का भी काम करता था। जिससे शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती थी।

पीडि़त की शिकायत पर

एसपी साउथ दीपक भूकर ने बताया कि कानपुर देहात के मंगलपुर, खमैला निवासी रोहित कुमार तिवारी ने ट्यूजडे को रेलवे में क्लर्क की नौकरी दिलाने का झांसा देकर 8.49 लाख रुपए की ठगी की शिकायत जूही थाने में की थी। रिपोर्ट दर्ज कर त्वरित कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी जूही संतोष कुमार आर्या ने सरगना समेत गैंग के पांच ठगों को दबोच लिया।

ये बरामद हुआ

- सरकारी विभागों के फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर

- आठ मोबाइल फोन

- कई बैंकों के 10 एटीएम

- पांच आधार कार्ड, दो फर्जी आधार

- दो ड्राइविंग लाइसेंस,

-तीन आईटीआर कार्ड,

- दो पहचान पत्र

- तीन हजार 700 रुपये कैश

ये हैं ठगी के आरोपी

- ग्वालियर निवासी गैंग लीडर आमरीन फातिमा उर्फ रीना खान

- राजस्थान के झुनझुन खेतड़ी निवासी सुनील कुमार

- दिल्ली के जहांगीर पुरी निवासी विनय पाल

- गाजियाबाद के विजय नगर निवासी कुलदीप कुमार

- बागपत के बड़ौत बावली निवासी दीपक कुमार

दिल्ली मेट्रो में सफर के दौरान हुई थी मुलाकात

एसपी साउथ ने बताया कि बीए पास आमरीन और इंटर पास सुनील गैंग के सरगना हैं। सुनील दिल्ली मेट्रो में गार्ड की नौकरी करता था। रोहित कुमार दिल्ली में प्राइवेट जॉब करता था। मेट्रो में सफर के दौरान रोहित की मुलाकात सुनील से हुई थी। उस दौरान सुनील ने रोहित को रेलवे में क्लर्क की नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। जिसके लिए 10 लाख रुपये की मांग की थी। झांसे में फंसे रोहित ने खेत बेचकर साढ़े आठ लाख रुपये आमरीन के खाते में जमा करा दिए। आरोप है कि जालसाजों ने रोहित समेत अन्य लोगों को कल्याणपुर स्थित एक मकान में ट्रेनिंग कराई फिर फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर भी जारी कर दिए।

हाईस्कूल पास जालसाज कराते थे ट्रेनिंग

एसपी ने बताया कि आमरीन फातिमा और उसका पति कुलदीप सिंह बेरोजगरों को तलाशने का काम करते थे, जबकि दीपक और सुनील ठगी के शिकार युवकों को फर्जी लेटर देते थे। वहीं विनय पाल उन्हें कल्याणपुर स्थित एक मकान में ट्रेनिंग कराता था। पूछताछ में आरोपियों ने कहा कि ठगी की रकम वह आपस में बराबर से बांटवारा करते थे। पुलिस ने उनके पास से एसबीआई, रेलवे, एनटीपीसी, पोस्ट ऑफिस, खाद्य विभाग, कृषि विभाग व राजस्व विभाग के 32 फर्जी लेटर बरामद किए हैं।

ऐसे फंसाते थे जाल में

आरोपी जॉब तलाश रहे युवकों से संपर्क करते थे। इसके बाद उन्हें रेलवे समेत अन्य विभागों का एक फॉर्म भेजते थे। 2-3 दिन बाद गैंग का एक सदस्य एक-एक शख्स से मिलकर फॉर्म भरवाने के नाम पर 5 हजार रुपये जमा कराता था। जॉब की चाहत रखने वालों को कोई शक न हो, इसके लिए गिरोह इन्हें दिल्ली के बड़ौदा हाउस स्थित उत्तर रेलवे के हेडक्वार्टर के पास बुलाता था। यहां ऑफिस के बाहर गैंग के कुछ लोग खड़े रहते थे और खुद को रेलवे स्टाफ बताकर उनके फॉर्म जमा कर लेते थे और डिटेल एक रजिस्टर में लिखते थे। इसके बाद आगे की प्रक्त्रिया के नाम पर बेरोजगारों से 8-10 लाख रुपये मांगे जाते थे। गैंग दिल्ली और राजस्थान में भी एि1क्टव है।

ज्वाइनिंग लेटर देख कोई भी खा जाए धोखा

एसपी ने बताया कि फर्जी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद गिरोह डाक के जरिये नियुक्तिपत्र उनके घर भेजता था। यहां तक की प्रक्रिया में सारे पैसे वसूल लिए जाते थे। लेटर में 1-2 महीने बाद ज्वाइन करने की बात कही जाती थी, जब वह ज्वाइन करने पहुंचते थे, तब ठगी का पता चलता था। आरोपितों ने बताया कि फर्जी पेपर तैयार करने का काम दीपक और सुनील का था। गिरोह इतनी सतर्कता और सफाई से काम करता था कि इन पर शक करना बहुत मुश्किल होता था। ये लोग रेलवे का फर्जी लेटरहेड, फॉर्म, ट्रेनिंग लेटर, मेडिकल लेटर और फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करते थे। ये बिल्कुल असली लगते थे। यही नहीं जॉब के लिए इनकी तरफ से एक वेरिफिकेशन फॉर्म भेजा जाता था, जिसे गजेटेड रैंक के अफसर से अटेस्ट कराने को कहा जाता था।

फर्जी नियुक्तिपत्र मामले में रेलवे समेत अन्य विभाग के अधिकारियों से बात की जाएगी और चेक किया जाएगा कि कहीं विभाग का कोई कर्मी भी तो गिरोह से नहीं मिला है।

दीपक भूकर, एसपी साउथ