कानपुर (ब्यूरो)। कमल के तने से रेशे निकालने के दौरान अब हाथों में कांटे नहीं लगेंगे। अब कम समय में प्रदुषण मुक्त उपकरण के माध्यम से एक साथ एक दर्जन से अधिक धागों को पाया जा सकता है। जिससे पश्मीना से अधिक कीमती लोटस सिल्क को आसानी से तैयार कर सकेंगे। सीएसए की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। रितु पांडेय ने कमल के तने से धागा तैयार करने की प्रदूषण मुक्त विधि निकाली है। डॉ। पांडेय की इस तकनीक और उपकरण को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है।

छह साल के बाद पेटेंट
यूरोप में सर्वाधिक मांग वाला लोटस सिल्क कमल के तने से मिलने वाले धागे से तैयार होता है। पश्मीना सिल्क से भी अधिक कीमती इस सिल्क को तैयार करना सबसे जटिल है। कमल के तने से रेशे निकालकर इसके धागे बनाए जाते हैं, लेकिन रेशे निकालने के दौरान कमल के तने में मौजूद कांटे हाथ को घायल कर देते हैं। डॉ। पांडेय के बनाए उपकरण से कम समय में एक बार में एक दर्जन रेशे आसानी से निकाले जाते हैं और हाथ भी घायल नहीं होंगे।

इन रेशों से ही तैयार सिल्क के धागों से कपड़े भी तैयार होते हैं। वस्त्र एवं परिधान डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डा। पांडेय ने बताया कि भारत सरकार के पेटेंट आफिस में अप्रैल 2017 में आवेदन किया था। पेटेंट प्रमाण पत्र अब जारी किया गया है।