आई एक्सक्लूसिव
-डेवलप करने में 417 करोड़ रुपए हो चुके हैं खर्च, 700 से ज्यादा आवंटी अपना पैसा ले चुके हैं वापस, 42 करोड़ रुपए आवंटियों को हुए वापस
-विकास न होने के चलते किसानों ने अपनी-अपनी जमीनों पर दोबारा से शुरू की खेती, किसान मांग रहे हैं 4 गुना मुआवजा
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KANPUR : 11 दिसंबर 2014 को गंगा बैराज के पास ट्रांस गंगा सिटी की नींव रखी गई थी। इसे हाईटेक सिटी का तमगा भी दिया गया। सपने दिखाए गए कि इसे 5 साल में प्रदेश की सबसे हाईटेक सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन वक्त के साथ दिखाए गए सभी सपने टूट गए। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने लोगों को बड़े सपने दिखाए थे, लेकिन ये ख्वाब हकीकत नहीं बन सके। योजना का महिमा मंडन इस कदर किया गया कि 18 लोगों ने उद्योग लगाने और 1783 लोगों ने मकान बनाने के लिए प्लॉट ले लिए। लेकिन मौजूदा हालात यह हैं कि यहां फसलें फिर से लहलहाने लगी हैं। विकास की 'गंगा' रुकने के बाद किसानों ने यहां फिर से कब्जा करके खेती करना शुरू कर दिया है।
फसलों से हरी भरी हुई सिटी
हाईटेक सिटी में गेहूं, मटर, सरसों की फसल लहलहा रही है। किसानों ने फसलों की सिंचाई के लिए पंपिंग सेट लगा लिया है। दिसंबर 2016 में विकास कार्यो में लगे ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया था। इसकी वजह थी विकास कार्यो में हुई अनियमितता की जांच। यूपीएसआईडीसी (अब यूपीसीडा) के दबाव के बाद कुछ ठेकेदार काम करने आए थे, लेकिन तभी किसानों का आंदोलन शुरू हो गया। किसानों ने ठेकेदारों को काम करने से रोक दिया। किसान अब सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा मांग रहे हैं। वहीं किसानों को हटाने की कोई प्रभावी कोशिश नहीं हो सकी है।
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दिसंबर 2017 तक देना था कब्जा
आवासीय भूखंड लेने वाले लोगों को मार्च 2017 तक भूखंड पर कब्जा देना था। तब तक आवासीय क्षेत्र में विकास कार्य पूरे होने थे, लेकिन अभी तक नहीं हुए। इसी तरह औद्योगिक भूखंड लेने वाले 18 उद्यमियों को दिसंबर 2017 तक कब्जा देना था, लेकिन अब तक नहीं दिया जा सका है। विकास न होने की वजह से ही 750 लोगों ने आवासीय भूखंड सरेंडर कर दिया और रुपए वापस ले लिए।
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एक और सिटी कागजों में रह गई
हाईटेक सिटी के बगल में एक और हाईटेक सिटी बसाने की योजना थी। इसके लिए 1700 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। प्रबंधन देवाराकला, पिंडोखा, बनी, मुस्तफापुर गैर एहमतमाली और पिपरी गांव में यह सिटी बसाने की तैयारी थी। लेकिन अब यह सबकुछ ठंडे बस्ते में जा चुका है। अब इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
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आंकड़ों के हवाले से
-700 आवंटी पैसे वापस ले चुके हैं।
-42 करोड़ लगभग आवंटियों को वापस हुए।
-450 आवंटी ही अब बचे हैं।
-1979 आवासीय भूखंड काटे गए थे।
-417 करोड़ लगभग खर्च हो चुके हैं।
-650 बिजली के पोल लगे पर लाइटें नहीं।
-1 विद्युत सब स्टेशन भी बनाया जा चुका है।
-1 भूमिगत पानी की टंकी बननी थी नहीं बनी.
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सपने जो दिखाए गए
- 2012 में ट्रांसगंगा सिटी का खाका जर्मनी के आर्किटेक्ट ने खींचा था।
- सिटी में टू, थ्री व फाइव स्टार होटल होंगे, दुबई की तर्ज पर सिटी
बसेगी।
- आईटी पार्क और इलेक्ट्रिक सिटी, ऑटोमोबाइल सिटी बसाई जाएगी।
- औद्योगिक सिटी के चारों ओर घुमावदार कांच की इन इमारतों में वाहनों और विभिन्न कंपनियों के शोरूम होंगे।
-स्किल इंस्टीट्यूट और डिजाइनिंग यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी।
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जमीनों की कीमत
एरिया टोटल कॉस्ट
300 54.00 लाख
260 46.80 लाख
250 45.00 लाख
210 37.80 लाख
200 36.00 लाख
120 21.60 लाख
(नोट: क्षेत्रफल वर्ग मीटर में है.)
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2 हफ्ते पहले ही कमिश्नर लखनऊ मंडल को किसानों को हटाए जाने को लेकर पत्र लिखा है। प्रबंधन के द्वारा किसानों को अधिकतम मुआवजा दिया जा चुका है। किसानों के हटने के बाद आवंटियों को जल्द से जल्द सुविधाओं के साथ कब्जा दिया जाएगा।
-राजेश सिंह, सीईओ, यूपीसीडा।