- बर्रा पुलिस ने खोला स्टैम्प और टिकट का फर्जीवाड़ा

- दो स्टैम्प वेंडर को साढ़े पांच लाख रुपए के फर्जी स्टैम्प और नकली टिकट के साथ किया गिरफ्तार

- कोलकाता और भागलपुर से हो रही सप्लाई, पुराने स्टैम्प को ब्लीच कर किया जा रहा था रीयूज

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kanpur : यदि आपकी किसी प्रॉपर्टी को लेकर सालों से विवाद चल रहा है और उसमें कोई व्यक्ति आपके विरुद्ध वसीयत लेकर कोर्ट में पेश हुआ है तो एक बार उसके स्टैम्प की जांच के लिए अर्जी जरूर दे दें। क्योंकि हो सकता है कि स्टैम्प पेपर जाली हों। बर्रा पुलिस ने नकली स्टैम्प पेपर और नकली टिकट की सप्लाई करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। दो स्टैम्प वेंडर को गिरफ्तार कर साढ़े पांच लाख रुपए के फर्जी स्टैम्प और टिकट बरामद किए हैं। आरोपी पुराने और यूज हो चुके स्टैम्प पेपर्स को लीच(सफाई) कर दोबारा यूज करते थे। इन फर्जी स्टैम्प की सप्लाई कोलकाता और भागलपुर से हो रही थी। पूछताछ में सामने आया है कि तीन दशक से यह गोरखधंधा चल रहा है। ये गिरोह अब तक सरकार को करोड़ों के रेवेन्यू का चूना लगा चुका है। पुलिस ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है।

इस तरह हत्थे चढ़ा गिरोह

बर्रा पुलिस को एक सम्पत्ति विवाद के मामले में फर्जी वसीयत कोर्ट में लेकर आने की शिकायत मिली थी। पुलिस ने जांच शुरू की तो जानकारी सही निकली। जिसके बाद दो स्टैम्प वेंडर कर्नलगंज निवासी मोहम्द शीजान और स्टेनली रोड बेली कॉलोनी कैंट प्रयागराज निवासी रंजीत कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इन दोनों से पूछताछ में अहम खुलासे हुए।

क्या-क्या बरामद हुआ?

आरोपी शीजान के पास से पुलिस ने 2,00,320 रुपए के जाली स्टैम्प बरामद किए हैं। जिसमें 10, 20 व 50 रुपए के चार-चार और 5000 रुपए के 40 स्टैम्प हैं। 1.25 लाख रुपए के नकली टिकट भी बरामद हुए। जिसमें 2 रुपए के 19,500 टिकट, 5 रुपए के 9200 टिकट, 10 रुपए के 4000 टिकट हैं। एक मोबाइल फोन, बंगाली अखबार, पटना का कैलेंडर और 251 रुपए नकदी बरामद की है। वहीं रंजीत कुमार के पास से पुलिस ने 5 रुपए के 450 लाट टिकट। जिनकी कीमत 2,02,500 रुपए बताई गई है। एक मोबाइल फोन और 350 रुपए नकद बरामद किए हैं।

35 का स्टैम्प 500 में

आरोपियों ने बताया कि 1995 के बाद से स्टाम्प पेपरों पर नंबरिंग शुरू हो गई थी। इससे पहले के स्टैम्प पेपर्स कॉ रिकार्ड नहीं है। इस वजह से वे पुराने स्टैम्प खरीदकर उनका दोबार यूज करते थे। 100 रुपए का स्टैम्प 35 रुपए में खरीद लेते थे। उसे साफ कराने के बाद दोबारा उसे 500 से 1000 रुपए तक में बेचते थे। ये स्टैम्प ज्यादातर फर्जी वसीयत के जरिए प्रॉपर्टी को हथियाने वाले लोग खरीदते थे। लिखापढ़ी में पुरानी वसीयत दिखाइर्1 जाती थी।

ऐसे होता है फर्जीवाड़ा

दोनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वह कोलकाता और भागलपुर से स्टैम्प और टिकट की सप्लाई ले रहे थे। पुलिस ने कोलकाता और भागलपुर पुलिस प्रशासन के साथ जानकारी शेयर कर ली है। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि जाली स्टैम्प पेपर लेने के बाद वे लोग उस पर लिखा हुआ साफ कराने के लिए कोलकाता, पटना या भागलपुर में लगी मशीनों के जरिए ब्लीच करवाते थे। उसके बाद इन्हें यहां लाकर बेच देते थे। जाली स्टाम्प और नकली टिकट का सबसे ज्यादा यूज प्रॉपर्टी के झगड़े के बाद वसीयत कराने के लिए किया गया है। इस बड़े खुलासे के बाद अनुमानित पांच हजार करोड़ की सम्पत्तियां और कानून के कुछ जानकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आरोपियों के मोबाइल फोन से कई लोगों के सम्पकर्1 मिले हैं।

30 साल से चल रहा खेल

इंस्पेक्टर बर्रा हरप्रीत सिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। आरोपियों के मुताबिक, शहर में सन 1990 से जाली स्टाम्प पेपर और नकली टिकटों की सप्लाई हो रही है। वे कोलकाता और भागलपुर से पुराने स्टाम्प पेपर खरीदते थे। मशीनों के जरिए उसे ब्लीच कराकर साफ करवाते और वहां मौजूद दूसरी मशीन से टिकट छपवा लेते थे। वहां से यहां लाकर उसे बेचा जाता था।

कई जिलों में फैला नेटवर्क

शीजान और रंजीत की मुलाकात कोलकाता में हुई थी। इंस्पेक्टर के मुताबिक दोनों 15 साल से ये गोरखधंधा कर रहे हैं। शीजान शहर से और रंजीत प्रयागराज से माल लेने कोलकाता पहुंचे थे। वहीं पर इनकी पहली मुलाकात हुई थी और वहीं से दोनों ने मिलकर धंधे में पैर जमाना शुरू कर दिया था। रंजीत प्रयागराज में और शीजान कानपुर से फर्जी स्टैम्प पेपर और नकली टिकट का धंधा चला रहे थे। इनके मोबाइल के जरिए पुलिस को प्रदेश के ही दूसरे जिलों के अलावा दूसरे प्रदेशों में इस तरह का नेटवर्क चलाने वालों की जानकारी भी मिली है। सभी जगहों के पुलिस प्रशासन को सूचनाएं भेजी जा रही हैं।

भागलपुर जालसाजी का नया गढ़

दोनों आरोपियों ने जब काम शुरू किया तो कोलकाता से स्टाम्प पेपर और नकली टिकटों की सप्लाई हो रही थी। उसके बाद दोनों ने भागलपुर में भी इसी तरह के एक गिरोह को खोज निकाला। जिसके बाद जाली स्टाम्प पेपर भागलपुर से और जाली टिकट कोलकाता और पटना से लेने लगे थे।

छह खातों में लाखों का ट्रांजेक्शन

दोनों आरोपियों ने बेइमानी भी पूरी इमानदारी से की। पुलिस को दोनों के छह खातों के बारे में जानकारी मिली है। जिसमें बीते सालों में लाखों का ट्रांजेक्शन हुआ है। हर 10-15 दिनों में इनके खातों से 15-20 हजार रुपए का ट्रांजेक्शन होता रहा है। पुलिस को जानकारी मिली कि ये पैसा उन लोगों को जा रहा था जो जाली स्टाम्प पेपर और नकली टिकट सप्लाई कर रहे हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि एक बार में दोनों साढ़े पांच लाख रुपए का माल उठाते थे।

दोनों आरोपियों से पूछताछ में कई जानकारियां मिली हैं। शहर में जाली स्टाम्प पेपर और नकली स्टाम्प के साथ कई सौ करोड़ रुपए की फर्जी रजिस्ट्रियां कर दी गई हैं। पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है। जल्द ही और भी कार्रवाई होगी।

डॉ। प्रीतिन्दर सिंह, डीआईजी/एसएसपी कानपुर