कानपुर (ब्यूरो) बिधनू न्यूआजाद नगर गोपाल नगर में कानपुर देहात के मैथा विकास खंड की पूर्व ब्लाक प्रमुख रंजू यादव का आवास है। फर्रुखाबाद निवासी मोहम्मद माज उनकी बालू की खदान की देखरेख करता था। छह महीने पहले खदान का ठेका दिलाने के नाम पर 18 लाख रुपये ख्वाइस ट्रेडिंग कंपनी के खाते में डलवाए थे। 60 लाख रुपये नगद भी ले गया था। साथ ही झांसा देककर घर के जेवर भी गिरवी रख आया। रुपये वापस मांगने पर बेटे को जान से मारने की धमकी देने लगा। बुधवार रात डेढ़ बजे वह दो लोगों को कार से लेकर घर आया।
चार घंटे तक तलाशी
दो युवकों में से एक खुद को लखनऊ क्राइम ब्रांच का सीओ बताते हुए जांच के नाम पर घर के अंदर आ गया। करीब चार घंटे तक सारे दस्तावेज देखते रहे। जांच के नाम पर घर की तलाशी लेना शुरू करने के साथ परिवार पर दबाव बनाना शुरू किया। रंजू यादव के पति राजेश यादव से पांच लाख रुपये की मांग कर दी। इस बीच ब्लाक प्रमुख के सुरक्षा गार्ड सौरभ को टीम के फर्जी होने का शक हुआ। जिस पर उसने कंट्रोल रूम पर पुलिस को सूचना कर दी।
वॉकी- टॉकी लेकर आए
कुछ देर बाद बिधनू न्यू आजाद नगर चौकी प्रभारी मुकेश बाजपेई फोर्स के साथ पहुंच गए। पुलिस तीनों आरोपियों को हिरासत में लेकर चौकी ले गई। जहां तलाशी में आरोपियों के पास से लखनऊ क्राइम ब्रांच सब इंस्पेक्टर बृजेश सिंह के नाम का आईकार्ड और दो वॉकी-टॉकी बरामद हुई। पुलिस सभी आरोपियों से पूछताछ में जुटी है।
इन लोगों की हुई गिरफ्तारी
1- माज पुत्र मो.सब्बर निवासी सी 2/177 सर्वोदय नगर, लखनऊ।
2.बृजेश सिंह पुत्र विजय सिंह निवासी जटा शंकर चौक, गोरखपुर।
3.आशुतोष पाण्डेय पुत्र दिलीप पाण्डेय निवासी सर्वोदय नगर, लखनऊ
ये चीजें हुई बरामद
02 वॉकी टाकी सेट, पुलिस के फर्जी आईकार्ड, लखनऊ के नंबर की एक कार
कुछ दिन पहले हुआ था विवाद
एसपी आउटर तेजस्वरूप सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह रंजू यादव के यहां क्राइम ब्रांच लखनऊ का सीओ बनकर तीन युवक रंगदारी मांगने पहुंचे थे। जांच में सामने आया कि अभियुक्त माज जो पहले ब्लाक प्रमुख के साथ खनन का काम करता था, उसका कुछ लेनदेन का विवाद चल रहा था। बीती रात भी फोन पर पूर्व ब्लाक प्रमुख से इसको लेकर कहासुनी हुई थी। जिसमें बृजेश सिंह ने खुद को सीओ क्राइम ब्रांच लखनऊ बताकर धमकाया था। गुरुवार को वह वसूली करने के लिये पहुंचे थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। आईकार्ड और वॉकी टाकी के बारे में अभियुक्तों ने बताया कि टोल टैक्स बचाने के लिये इसे बनाया था। पुलिस इन सभी की क्रिमिनल हिस्ट्री खंगाल रही है।