इसके अलावा फ़ाई वॉशिंगटन से बाहर नहीं जा सकते और उनकी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी भी होगी। दूसरे अभियुक्त ज़हीर अहमद से उनका संपर्क भी नहीं हो सकता है। बिना पंजीकरण के, पाकिस्तान सरकार की ओर से कश्मीर के लिए लॉबिंग करने के आरोप में
एफ़बीआई ने अदालत में दाख़िल हलफ़नामे में फ़ाई पर आरोप लगाया था कि उन्हें पाकिस्तान सरकार के तत्वों और ख़ासकर ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की ओर से कश्मीर मसले पर लॉबिंग करने के लिए पैसे मिलते थे।
अमरीकी जज ने सरकारी पक्ष की ये बात मानने से इनकार कर दिया कि फ़ाई सज़ा से बचने के लिए देश छोड़कर जा सकते हैं और फ़ाई को एक लाख डॉलर की ज़मानत पर छोड़ दिया। मगर साथ ही अदालत ने उन्हें घर में नज़रबंद करने का आदेश ज़रूर सुना दिया।
आरोप
फ़ाई वॉशिंगटन स्थित कश्मीर सेंटर या कश्मीरी अमरीकी परिषद के कार्यकारी निदेशक थे। संगठन का दावा रहा है कि यह ग़ैर-सरकारी है और अमरीकियों से ही इसे धन मिलता है।
मगर एफ़बीआई की ओर से बताया गया है कि 1990 के दशक से लेकर अब तक इस संगठन को पाकिस्तान सरकार से 40 लाख डॉलर मिले हैं जिससे कश्मीर पर अमरीकी रुख़ को प्रभावित किया जा सके।
अभियोग पक्ष की ओर से कहा गया कि फ़ाई ने पिछले हफ़्ते हुई गिरफ़्तारी के बाद एक एफ़बीआई एजेंट से बातचीत में माना था कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से उनके संबंध थे और वह 15 साल से उनके संपर्क में थे।
अभियोग पक्ष के वकील गॉर्डन क्रोमबर्ग ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन हालात में विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसी फ़ाई को बचाने की कोशिश करेगी और वह देश छोड़कर जा सकते हैं।
इस पर बचाव पक्ष की वकील नीना गिन्सबर्ग ने बताया कि और इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि आईएसआई फ़ाई की मदद करने की कोशिश करेगी।
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