- देश की सबसे पॉल्यूटेड सिटीज में कानपुर चौथे नंबर पर
- सिटी में पॉल्यूशन सीवियर स्टेज में होने से बढ़ी तकलीफ, ओपीडी में बढ़ गए पेशेंट
KANPUR: दिसंबर महीने के बीते 7 दिनों में सिटी में पॉल्यूशन साल के अपने सबसे चरम स्तर पर है। मंडे को भी पॉल्यूशन का यही हाल रहा। एयरक्वालिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का लेवल 406 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। कानपुर मंडे को देश का चौथा सबसे पॉल्यूटेड सिटी रहा। वहीं लगातार पॉल्यूशन खतरनाक स्तर पर बने रहने का असर भी दिख रहा है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आंखों में जलन के साथ सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश, इंफेक्शन के पेशेंट्स भी बढ़े हैं। डॉक्टर्स की सलाह है कि सर्दी के साथ पॉल्यूशन की ये हालत बीमार बना सकती है। ऐसे में मास्क लगा कर ही बाहर निकले और मार्निग वॉक से भी बचे।
15 परसेंट तक बढ़े पेशेंट्स
कोरोना काल में सर्दी के साथ पॉल्यूशन के असर से सांसों के जरिए सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि पॉल्यूशन भी तगड़ा प्रहार कर रहा है। सिटी के सबसे बड़े चेस्ट हॉस्पिटल का दर्जा रखने वाले मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स बीते तीन दिनों में 10 से 15 परसेंट तक बढ़े हैं। ओपीडी में इलाज करने वाले डॉक्टर्स के मुताबिक सांस फूलने, चेस्ट इंफेक्शन के केसेस बढ़े हैं। इसके अलावा अस्थमा पेशेंट्स भी काफी आ रहे हैं।
पॉल्यूशन का आंखों पर भी असर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्ररोग विभाग की ओपीडी हफ्ते में तीन दिन ही चलती है, ओपीडी में पेशेंट्स भी सीमित ही देखे जाते हैं,लेकिन टेलीमेडिसिन ओपीडी में कई पेशेंट्स के फोन आ रहे हैं। जोकि आंखों में जलन होने, आंखे ज्यादा लाल होने जैसी शिकायत करते हैं। इसकी एक वजह डस्ट पार्टिकल्स भी होते हैं।
एक्यूआई में सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड सिटीज-
गाजियाबाद-438
ग्रेटरनोएडा-422
नोएडा-422
बुलंदशहर-417
कानपुर- 406
- एयरक्वालिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का डाटा
शाम के वक्त प्रमुख जगहों पर पॉल्यूशन की स्थिति-
चकेरी स्टेशन रेाड-407
एलएमएल चौराहा-372
भैरोघाट चौराहा- 364
दीप टाकीज तिराहा-415
पीएसी मोड़ चौराहा-392
बारादेवी चौराहा- 363
मैनावती मार्ग-420
घंटाघर चौराहा-405
सचान गेस्ट हाउस चौराहा-346
मरियमपुर चौराहा-361
- कानपुर स्मार्ट सिटी के एनवायरमेंटल सेंसर्स का पीएम 2.5 का डाटा।
बीते 5 सालों में 7 दिसंबर को पीएम 2.5 का स्तर
2019- 359
2018- 359
2017- 278
2016-487
2015- 429
नोट- सभी डाटा पीएम 2.5 का, इसका मानक स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है।
पॉल्यूटेड एरिया में ज्यादा वक्त तक रहने से पार्टिकुलेटेड मैटर लंग्स पर असर करते हैं। साथ ही अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स तो सीधे ब्लड प्रोफाइल पर प्रभाव डालते हैं। सर्दी में पॉल्यूशन बढ़ने से गले और चेस्ट इंफेक्शन, खांसी, जुखाम होने की संभावना ज्यादा रहती है।
-डॉ। बृजेश कुमार,एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज