कानपुर (ब्यूरो) कुछ राजकीय और अनुदानित संस्थानों ने 10-10 साल पुराने फीस वाले आदेश को वेबसाइट पर अपलोड करा रखा है या फिर लिख रखा है कि गवर्नमेंट के निर्देशों के मुताबिक। इन दोनों मामलों में फीस की सही जानकारी हो पाना संभव नहीं है। दूसरी ओर निजी संस्थानों ने भी फीस की जानकारी नहीं दी है।
ज्यादा फीस वसूलने का आरोप
पॉलीटेक्निक संस्थानों में फीस से बढ़कर वसूली की शिकायत सबसे ज्यादा निजी संस्थानों की है। इन पर आरोप है कि यह रसीद तो सरकार से तय शुल्क की देते हैं लेकिन अन्य सुविधाओं के नाम पर स्टूडेंट्स से तय फीस से दोगुनी तक की वसूली करते हैं। स्टूडेंट्स शिकायत भी करते हैं लेकिन ऊंची पहुंच के चलते इन पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। वहीं, राजकीय और अनुदानित संस्थानों पर अधिक फीस वसूली के आरोप न के बराबर हैं।
तो होगी कार्रवाई
प्राविधिक शिक्षा निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि राजकीय, अनुदानित और निजी संस्थानों को वेबसाइट पर फीस और सुविधाएं बतानी होंगी। जिन संस्थानों ने फीस को अपनी वेबसाइट पर नहीं बताया है, उनके लिए दोबारा से पत्र जारी किया जाएगा। यदि कोई संस्था ज्यादा फीस वसूलती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।