कानपुर (ब्यूरो)। देश की शुगर मिल्स के सामने शीरा को सेफ रखने की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने निकाल लिया है। चार तरह के केमिकल के कॉकटेल को शीरा के साथ टैैंक में मिलाने से शीरा 12 महीने तक सेफ रहेगा। फिलहाल शीरा को महज तीन महीने तक ही सेफ रखा जा सकता है। हैदराबाद की सुजलकेम टेक्नोलॉजीस ने साथ मिल कर चार तरह के केमिकल्स के कॉकटेल को शीरा के साथ मिला कर एनएसआई में रिसर्च की गई, जिसमें रिजल्ट पॉजिटिव आए हैैं। शीरा सेफ रहने से 12 महीने इथेनॉल का प्रोडक्शन किया जा सकेगा।


इन चार केमिकल्स का बना कॉकटेल
मंडे को मीडिया से बातचीत करते हुए एनएसआई के डायरेक्टर प्रो। नरेंद्र मोहन ने बताया कि रिसर्च में नैनो बॉयोसाइड, एंजाइमैटिक नाइट्रोजन सोर्स, डिस्पर्सेँट और ऑक्सीजन स्केवेंजर के कॉकटेल को फार्मूलेशन के तहत शीरे में मिलाया गया। ट्रायल के दौरान अलग-अलग चार स्टेट्स से शीरे को लाकर केमिकल के साथ टैैंक में रखा गया। रिजल्ट में 12 महीने तक शीरा सेफ रहा है। आमतौर पर दो से तीन महीने में ही शीरे का क्वालिटी खराब होने लगती है, जिससे शीरे से इथेनॉल बनाना मुश्किल हो जाता है।


2025 में पेट्रोल के लिए 1350 करोड़ लीटर इथेनॉल
एनएसआई के डायरेक्टर ने बताया कि साल 2023 में पेट्रोल में 12 परसेंट इथेनॉल को मिलाया जा रहा है। इस साल केवल पेट्रोल के लिए 500 करोड़ लीटर इथेनॉल देश को चाहिए होगा। वहीं 2024 में 15 और 2025 में 20 परसेंट इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाना है। ऐसे में 2025 में केवल पेट्रोल के लिए 1350 करोड़ लीटर इथेनॉल चाहिए होगा। ऐसे में शीरा सेफ रहने से इथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ेगा।

यह होगा बेनीफिट
शुगर मिलों को मार्च महीने तक गन्ना मिलता है। ऐसे में उससे बनने वाला शीरा कम समय तक सेफ रह पाता है। आमतौर पर शीरा खराब हो जाता है, जिसका यूज इथेनॉल बनाने में नहीं किया जा सकता है। एनएसआई द्वारा डेवलप टेक्नोलॉजी से शीरा 12 महीने सेफ रहेगा, जिससे इथेनॉल का प्रोडक्शन बढ़ेगा, जो कि फ्यूचर में देश की डिमांड भी है।

इन जगहों पर होता है इथेनॉल का यूज
इथेनॉल का यूज पेट्रोल, शराब, केमिकल इंडस्ट्री, अल्कोहल बनाने और मेडिसीन बनाने समेत कई चीजों में किया जाता है। इसका प्रोडक्शन बढऩे से हमारी विदेशी बाजार पर निर्भरता कम होगी।