सोमवार को शुरु हुई चुनावी प्रक्रिया मार्च 2012 तक चलेगी। पहले चरण में 508 सदस्यों वाली पीपल्स एसेंबली के लिए मतदान होगा। इस बीच हज़ारों प्रदर्शनकारी अब भी तहरीर चौराहे पर जमा हैं जहाँ से महीनों पहले मुबारक के ख़िलाफ़ अभियान की शुरुआत हुई थी।

इन लोगों की माँग है कि मुबारक की जगह सत्ता में आया सैन्य शासन बागडोर चुने हुए प्रतिनिधियों को सौंप दे। मिस्र में पिछले 10 दिन से सेना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। इस दौरान कम से कम 41 लोग मारे जा चुके हैं और दो हज़ार से ज़्यादा घायल हुए हैं।

खींचतान

प्रदर्शनकारियों को आशंका है कि तंतावी की अगुआई वाली सेना की परिषद सत्ता पर अपना कब्ज़ा बनाए रखना चाहती है। लोगों की माँग रही है कि संसदीय चुनाव से पहले सेना का शासन ख़त्म हो।

वहीं सैन्य परिषद के प्रमुख फ़ील्ड जनरल हुसैन तंतावी ने आगाह किया है कि अगर मौजूदा संकट का हल नहीं निकाला गया तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं। तंतावी ने कहा है कि सेना ने मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के इंतज़ाम किए हैं।

उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों मोहम्मद अल बारादेई और अम्र मूसा से आग्रह किया है कि वे कमाल गंज़ूरी को अपना समर्थन दें। तंतावी ने उन्हें नए प्रधानमंत्री के तौर पर नामांकित किया है।

बीबीसी संवाददाता के मुताबिक 78 साल के कमाल गंज़ूरी को अब तक जनसमर्थन नहीं मिला है। उन्हें मुबारक दौर के नेता के तौर पर देखा जाता है।

मोहम्मद अब बारादेई ने कहा है कि नया राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने तक वे राष्ट्रीय सरकार की अगुआई करने के लिए तैयार हैं। संवाददाता का कहना है कि बारादेई और अम्र मूसा दोनों बड़े नेता हैं जो सेना को चुनौती दे सकते हैं।

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