कानपुर (ब्यूरो) शहर में लगभग चार हजार से अधिक जगहों पर होलिका दहन के लिए जगह चिन्हित किया गया है। इन जगहों पर अभी से ही लकड़ी के गट्ठे रखे गए हैं। चेन फैक्टरी चौराहा, मर्चेंट चेम्बर चौराहा, विकास नगर रोड, ग्वालटोली समेत अन्य जगहों पर अभी से लकडिय़ा डाल दी गई हैं। साथ ही कहीं टायर, प्लास्टिक कुर्सियां, तो कहीं पॉलीथिन तक रख दी गई है। ऐसे में इस होलिका दहन में शहर की हवा अशुद्ध होगी। इसको रोकने के लिए गाय के गोबर से बने उपले और लट्ठे को होलिका दहन में इस्तेमाल किया जाएगा।
ये होगा फायदा
- उपले से होलिका दहन करने से पॉल्यूशन होगा कंट्रोल
- होलिका की अग्नि में इन्हें जलाते हैं तो रोग दोष मुक्त होते हैं
- ज्योतिषी कहते हैँ कि आर्थिक स्थिति ठीक हो सकती है
- मच्छर और हवा में उडऩे अन्य वैक्टीरिया होते हैं खत्म
इसका भी ख्याल रखे
- होलिका दहन के लिए उपलों का करें इस्तेमाल
- टायर, प्लास्टिक, पॉलीथिन, रस्सी समेत अन्य न करें यूज
होलिका दहन के लिए ये हैं नियम
- सबसे पहले सडक़ पर बालू की परत बिछाई जाती है
- बालू के ऊपर मिट्टी की मोटी लेयर बिछाना चाहिए
- लकड़ी के लट्ठ या उपले रख कर होलिका दहन होना चाहिए
एक नजर में
- 4000 हजार से अधिक जगहों पर होलिका दहन
- 110 वार्डो में दिए जाएंगे गाय के गोबर के उपले
- 100 किलो उपले दिए जाएंगे हर वार्ड में
- 3000 किलो अब तक बनाए जा चुके हैं उपले
- 20 हजार किलो उपले का किया जाएगा इस्तेमाल
पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए इस बार सभी वार्डों को 100-100 किलो गोबर के बने लट्ठे को दिया जाएगा। लट्ठे को बनाने का काम चल रहा है। अबतक 3500 किलो लट्ठे बनाए जा चुके हैं।
आरके निरंजन, पशु चिकित्साधिकारी, नगर निगम
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होली को इको फ्रेंडली बनाने की अपील
शहरवासियों से अपील है कि होलिका दहन में कोई ऐसी चीज न डाले, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है। कोशिश करें कि लकड़ी के बजाय उपले का इस्तेमाल करें, ताकि पॉल्यूशन को कंट्रोल किया जा सके।
शिवशरणप्पा जीएन, नगर आयुक्त
होलिका दहन के लिए पेड़ों के काटने से पर्यावरण को नुकसान पहुुंच रहा है। जिस वजह से कानपुर गौशाला सोसइटी की तरफ से इस बार होली को इको फ्रेडली बनाने के लिए होलिका में उपलों का इस्तेमाल कराया जा रहा है।
सुरेश गुप्ता, उपाध्यक्ष, कानपुर गौशाला सोसाइटी