- मोबाइल व लैपटॉप पर ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान जुए की लत का शिकार हो रहे हैं बच्चे, शातिर फंसा रहे अपने जाल में
-पहले जानबूझ जिताते और हारने पर तरह-तरह से हैं डराते, बच्चे परिजनों के एटीएम की फोटो खींच शातिरों को भेज देते
-धीरे-धीरे खाते से गायब होती है रकम, शहर में इस तरह के तीन मामले सामने आए, साइबर सेल कर रही है जांच
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KANPUR : ऑनलाइन क्लास के लिए अगर आपने अपने लाडले को स्मार्ट फोन और लैपटॉप दिला रखा है तो उस पर नजर भी बनाए रखिए। अगर बेटा मोबाइल या लैपटॉप पर लंबी चैटिंग कर रहा है और इस दौरान आपके बैंक खाते से थोड़े थोड़े करके रुपये गुम हो रहे हैं तो अलर्ट हो जाइए वरना एकाउंट खाली होने में देर नहीं लगेगी। क्योंकि आपका लाडला ई गैंबलर्स के चंगुल में फंस चुका है। साइबर सेल के पास इस तरह के तीन मामले सामने आए हैं। जिनमें बच्चों ने शातिरों के बरगलाने और धमकाने पर परिवार वालों के एटीएम की जानकारी उन्हें दे दी है। शातिर जिसके जरिए धीरे-धीरे करके खातों को खाली कर रहे थे।
पहला मामला : नयागंज में एक नामी मसाला फैक्ट्री में अच्छे पद पर काम करने वाले युवक ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। युवक के मुताबिक उनका 14 साल का बेटा मोबाइल पर पढ़ाई के दौरान ही न जाने कैसे ई गैंबलर्स के चंगुल में फंस गया। उन्हें इसका पता तब चला जब उनके बैंक खाते से 23 हजार और पत्नी के खाते से 13 हजार रुपये अचानक कम हो गए।
दूसरा मामला : ठगी की दूसरी वारदात जाजमऊ निवासी लेदर कारोबारी के साथ हुई। पीडि़त के मुताबिक सातवीं क्लास में पढ़ने वाले बेटे को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए नया मोबाइल दिलाया गया। जिसके बाद उनके और बड़े बेटे के अकाउंट से रुपये कम होने लगे। शक होने पर बेटे से बात की। उसने जो बताया वो सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। करीब 70 हजार का नुकसान हुआ।
तीसरा मामला : ठगी का तीसरा शिकार हुए किदवई नगर स्थित एक इंटर कॉलेज के टीचर। इनका बेटा एक कॉन्वेंट स्कूल में 8वीं का स्टूडेंट हैं। लैपटॉप से ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान वह ई गैंबलर्स के चंगुल में फंस गया। उसने पिता और मां के एटीएम कार्ड की फोटो खींचकर गैंबलर्स को दे दी। उसके बाद दोनों खातों से 40 हजार रुपये पार हो गए।
पता नहीं चलता, कब चंगुल में फंस गया
मामले की इनवेस्टिगेशन कर रहे साइबर पुलिस ऑफिसर के मुताबिक, जिस तरह ऑनलाइन सट्टा कराया जाता है। उसी तरह से पढ़ाई की आड़ में बच्चों को ऑनलाइन ही जुए की लत लगाई जा रही है। गेम खेलते खेलते बच्चा कब इनके चंगुल में फंस जाता है। उसे पता ही नहीं चल पाता। डर की वजह से वह पेरेंट्स को नहीं बताते और घरवालों के एटीएम निकालकर ठगों की उसकी फोटो भेज देते हैं। उसके बाद सारा काम ठग करते हैं। जांच कर रहे प्रभारी का कहना है कि इस तरह के मामले दिल्ली, गाजियाबाद और लखनऊ में बड़ी संख्या में हुए हैं। अभी तक कानपुर में तीन मामले ही सामने आए हैं।
ऐसे होता है ठगी का पूरा खेल
बच्चे मोबाइल से पढ़ाई के दौरान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए इंटरनेट कैफे जाते हैं। वहां मौजूद शातिर इन बच्चों को गेम की आड़ में गैंबलिंग सिखा देते हैं और मोबाइल पर एप डाउनलोड कर देते हैं। बच्चों को अपने जाल में फंसाने के लिए पहले इन्हें जानबूझकर जिताया जाता है। खेलते-खेलते इन्हें लत लग जाती है। इसके बाद जब ये हारने लगते हैं तो साइबर कैफे में बैठा शातिर उन्हें तरह-तरह से डराता धमकाता है। बच्चा डर जाता है, लेकिन वह खेल का इतना लती हो चुका होता है कि वह शातिर के कहने पर परिवार वालों के एटीएम कार्ड की फोटो शातिर को वाट्सअप कर देता है।
कॉर्नर एड का लेते हैं सहारा
काम करने के दौरान हमारे लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल फोन पर कॉर्नर एड भी दिखाई देते हैं। काम करने के दौरान आए इन कॉर्नर एड को हम इगनोर कर देते हैं, लेकिन इन कॉर्नर एड में शातिरों की चाल छिपी होती है। इन शातिरों के चंगुल में फंसे बच्चे इसे क्लिक कर ऑन कर देते हैं और ठगी की शुरुआत हो जाती है।
ऐसे बचाएं अपने बच्चों को श्ातिरों से
- बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान उन पर नजर बनाए रखें।
- क्लास के अलावा बच्चा मोबाइल पर क्या कर रहा है, जरूर जानें
- इंटरनेट कैफे में बच्चा कितनी देर और क्या करने गया
- अपना और परिजनों का एटीएम कार्ड बच्चों की पहुंच से दूर रखें
- खाते को चेक करते रहें। थोड़ा पैसा निकलने पर जानकारी करें।
- बच्चों के मोबाइल से फालतू एप डिलीट करते रहें
- ऑनलाइन पेमेंट एप को प्रॉपर लॉक करके रखें
-ठगी का शिकार हो जाएं तो तुंरत साइबर सेल से संपर्क करें
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ई गैंबलर्स के शिकार हुए तीन मामले सामने आए हैं। जिनकी जांच साइबर सेल कर रही है। कुछ और भी शिकायतें इस तरह की आई हैं। जिन पर थानों की पुलिस काम कर रही है। पेरेंट्स अपने बच्चों पर नजर रखें।
दीपक भूकर, एसपी साउथ